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सर्ववेदान्तसारं हि श्रीभागवतमिष्यते।
तद्रसामृततृप्तस्य नान्यत्र  स्याद्रति: क्वचित।।
- भागवत पुराण 12/13/15
 
धर्मक्षेत्र में एक नया व अविस्मरणीय इतिहास रचने के लिए अनंत और उत्कृष्ट प्रेम के स्वरुप ईश्वर ने स्वयं को इस धरा पर भगवान श्रीकृष्ण के रूप में प्रकट किया| श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक) के दिव्य मार्गदर्शन के तहत दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं के पीछे छिपे परम सत्य व आध्यात्मिक रहस्यों का अनावरण करने के लिए, हरियाणा के गुरुग्राम में 15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2018 तक श्रीमद्भागवत कथा का कार्यक्रम किया।
बड़ी संख्या में एकत्र हुए आस-पास के इलाकों के श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर अपनी सक्रिय भागीदारी  निभाई| लोगों ने 7 दिनों तक इस कार्यक्रम में भाग लेकर इस आयोजन को एक बड़ी सफलता प्रदान की| बहुत से प्रतिष्ठित और उल्लेखनीय अतिथि कार्यक्रम में सम्मिलित हुए- अध्यक्ष बजाज मोटर्स लिमिटेड - श्री वी.पी. बजाज,  सीनियर डिप्टी मेयर- श्रीमती परमेला कब्बाना, महापौर- श्रीमती मधु आजाद, उप महापौर- श्रीमती सुनीता यादव, अध्यक्ष हरियाणा गौ सेवा आयोग- श्री भानी राम मंगल, अध्यक्ष भारती पशु कल्याण बोर्ड- श्री एस पी गुप्ता, अतिरिक्त निगमायुक्त, गुरुग्राम नगर निगम- डॉ नरहरि बांगड़, श्री छतर कुमार गोयल, श्री प्रवीण कुमार सिंह, श्री महेंद्र पाल गौतम, श्री अरुण अग्रवाल, श्री कुशी राम शर्मा व् श्री विनोद शर्मा आदि।

श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास साध्वी सुश्री आस्था भारती जी ने श्रीमद्भागवत कथा का सुंदर व प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण किया| भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र से सीखे जाने योग्य प्रतीकात्मक संदेशों को भी उन्होंने सभी के समक्ष रखा| उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण हमें श्रीमद्भगवद्  गीता रूपी बहुमूल्य विरासत दी है| आज के आधुनिक युग में गीता के महत्व को समझाते हुए और कैसे अपने दैनिक जीवन में इसकी शिक्षाओं को विकसित करें- ऐसे अनेकों सूत्र साध्वी जी ने प्रस्तुत किए| उन्होंने भारत की पुरातन आध्यात्मिक तकनीक- ब्रह्मज्ञान की चर्चा भी की जिसके द्वारा जीव परम सता ईश्वर से जुड़ने में सक्षम बनाता है। यह वही तकनीक है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में प्रदान किया| जिसके दवारा वह केवल अपने सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करने में ही सक्षम नहीं हुआ बल्कि परमात्मा के साथ भी संबंध स्थापित कर पाया।

प्रभु की यह दिव्य कथाएँ कोरी कहानियाँ नहीं अपितु इनमें मानव जाति के लिए गहरा आध्यात्मिक संदेश छिपा होता है। इनका अर्थ केवल किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा समझाया जा सकता है जिसने अपने अंत:करण में इनकी साक्षात् अनुभूति की हो| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित कथा कार्यक्रमों की यही अनूठी विशेषता है। उपस्थित भक्तों को भी  बार-बार ईश्वरीय सता से संपर्क बनाने हेतु प्रेरित किया गया। ब्रह्मज्ञान द्वारा जब एक व्यक्ति दिव्यता के व्यावहारिक और प्रत्यक्ष अनुभव की संपत्ति का मालिक हो जाता है तो वह आध्यात्मिकता और संसारिकता के क्षेत्र में एक साथ सफल हो आगे बढ़ सकता है|

कथाव्यास साध्वी आस्था भारती जी ने अपने जीवन को परम व दिव्य शांति से भरने और दिव्यता व पवित्रता से जुड़ने के लिए सभी से अपील की। आज के समय में, इस दिव्य शांति को श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा प्रदान की जाने वाली ब्रह्मज्ञान विधि से ही प्राप्त किया जा सकता है।
इस कथा द्वारा लोगों ने मानव जीवन के उद्देश्य और कैसे ब्रह्मज्ञान मानव जाति को जागृत कर सकता है इन तथ्यों के विषय में बखूबी जाना| जिससे न केवल अपने उत्थान की ओर बल्कि समाज और दुनिया के सुधार के लिए भी मानव सजग रह सकता है ।

Shrimad Bhagwat Katha at Gurugram, Haryana - Abode of Practical and Direct Experience of Divinity

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