लीला-पुरुषोत्तम श्री कृष्ण, एक ऐसे प्रबुद्ध व्यक्तित्व थे जिनकी हर क्रिया ज्ञान के आंतरिक स्रोत द्वारा निर्देशित थी। उन्होंने सभी को आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग दिखाया। श्रीकृष्ण ने भक्ति, धर्म और परम सत्य की वास्तविकता से सम्पूर्ण विश्व को परिचित करवाते हुए मानव जाति की सामूहिक चेतना को जागृत किया।
श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं में निहित आध्यात्मिक रहस्यों को समाज में उजागर कर रही है। इसी श्रृंखला में 17 नवम्बर से 23 नवंबर, 2018 तक राजस्थान के डुंगरपुर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। इस विलक्षण कार्यक्रम में सैकड़ों लोग शामिल हुए। कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथियों व आगंतुकों ने दिव्य ऊर्जा को प्राप्त किया।
साध्वी आस्था भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के संपूर्ण जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए, उनके दिव्य चरित्रों के गहन सत्य को प्रगट किया। वे योगेश्वर के साथ ही साथ विशुद्ध प्रेम के अवतार भी थे। उनके जीवन के प्रत्येक दिव्य कर्म उत्कृष्टता और गहन रहस्यों से भरे हुए हैं। उनकी अंतर्निहित लीलाएं उस युग के साथ-साथ वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है। उन्होंने सभी को वास्तविक धर्म के अनुरूप दृढ़ता से बढ़ते हुए जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य की ओर अग्रसर करने हेतु प्रेरित किया। ईश्वर हमें आत्म-प्राप्ति हेतु संसारिकता से दूर जाने का परामर्श नहीं देते हैं। ईश्वर तो हमें संसार से अनासक्त हो अपने कर्मों को पूर्ण करने का मार्ग प्रदान करते हैं।
जिस प्रकार अर्जुन ने श्रीकृष्ण द्वारा ब्रह्मज्ञान की दीक्षा से दिव्य नेत्र को प्राप्त कर आत्मिक रूप में जागृत हो शांति को पाया, उसी प्रकार आज भी मनुष्य समय के पूर्ण सतगुरु की कृपा द्वारा ब्रह्मज्ञान से शांति को प्राप्त कर सकता है। आधुनिक युग को बुराई से मुक्त होने और सामाजिक परिवर्तन हेतु इस दिव्य तकनीक की आवश्यकता है। मानव जीवन का लक्ष्य भी निरंतर दिव्यता के अभ्यास द्वारा अनन्त चेतना के साथ एकाकार स्थापित कर अज्ञानता और अनैतिकता से मुक्त होना है। ब्रह्मज्ञान, सनातन विज्ञान और दिव्य ऊर्जा का स्रोत है जो मनुष्य को चुनौतियों और बाधाओं में भी महान मूल्यों को धारण करने में सक्षम बनाता है। हमें ब्रह्मज्ञान प्राप्ति हेतु एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु को खोजना होगा जो ईश्वर साक्षात्कार कराने में सक्षम हो। श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान् कृष्ण ने कहा कि इस सनातन विधि का अभ्यास कर जीव, जन्म और मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार, उत्कृष्ट व गहन तथ्यों को सरल व प्रभावी ढ़ंग से समझाया गया।
Subscribe Newsletter
Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox