डीजेजेएस (दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान) द्वारा 21 से 27 नवंबर, 2022 तक बरेली, उत्तर प्रदेश में श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के आशीर्वाद और दिव्य प्रेरणा से 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। 20 नवंबर, 2022 को श्रीमद्भागवत कथा के शुभ प्रारंभ के उपलक्ष्य में कलश यात्रा का भी आयोजन किया गया। कलश धारण करने वाली हजारों महिला श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा में भाग लिया। कलश यात्रा बरेली, उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर कथा अमृत से लाभान्वित होने का खुला निमंत्रण रही। कथा का डीजेजेएस के यूट्यूब चैनल पर भी वेबकास्ट किया गया।
कथा वक्ता साध्वी आस्था भारती जी (शिष्या, श्री आशुतोष महाराज जी) ने पूरी कथा को बहुत ही खूबसूरती से सुनाया और भक्तों के लिए कथा-अमृत में छिपे गहरे अर्थों व तथ्यों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि लोगों को जीने की कला सिखाने और आध्यात्मिकता के रत्नों का प्रसार करने के उद्देश्य से भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर अवतार लिया। श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला में एक गहरा अर्थ छिपा हुआ है| यह कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन उद्देश्य को कैसे पूरा किया जाए और कैसे जीवन के सबसे कठिन समय में भी हमारे चेहरे से मुस्कान कभी नहीं छूटे। भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध के मैदान में अर्जुन को पवित्र गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया, जो पूरी मानव जाति के लिए सबसे बड़ा उपहार था और आज भी हमें लाभान्वित कर रहा है। श्रीमद्भगवदगीता बेहतर जीवन और आध्यात्मिक जागृति के लिए आवश्यक मार्गदर्शिका है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह व्यक्ति को सोच-विचार करने, निष्पक्ष और सही निर्णय लेने और अपनी पहचान को छोड़े बिना जीवन को एक अलग अंदाज़ से देखने और जीने के लिए प्रेरित करती है।
वक्ता ने आगे कहा कि एक इंसान जीवन में सकारात्मक तभी हो सकता है जब वह एक उच्च ऊर्जा से जुड़ा हो, जो कि "ईश्वर" है। सभी शास्त्रों के अनुसार, समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु ही ब्रह्मज्ञान के दुर्लभ विज्ञान को प्रदान कर एक भक्त को भगवान तक पहुँचने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं, एक गुरु अपने शिष्य की आध्यात्मिक यात्रा के दौरान उसकी पूरी मदद करते हैं और हर कदम पर उसका मार्गदर्शन भी करते हैं। इसलिए सभी को ऐसे दिव्य सतगुरु की शरण लेनी चाहिए, जो ईश्वर से जुड़े हों और मनुष्य के भीतर ही ईश्वर को दिखा सके। आगे विस्तारपूर्वक उन्होनें समझाया कि न तो श्री कृष्ण ने एक संत की तरह पोशाक पहनी, न ही उन्होंने अपने परिवार को छोड़कर ध्यान के लिए जंगलों या हिमालय पर गए लेकिन फिर भी उन्हें 'जगतगुरु' की महान उपाधि से सम्मानित व संबोधित किया जाता है। बाहरी रूप, शास्त्रों के श्लोक उच्चारण का सुंदर तरीका या फिर बाहरी चमत्कार, यह किसी के सच्चे व पूर्ण गुरु होने का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उसकी एकमात्र सच्ची पहचान "ब्रह्मज्ञान" है| इसके माध्यम से वह भक्त के भीतर ही उस सर्वशक्तिमान भगवान को दिखा सकते हैं और इस तरह भक्त की आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती है। इसलिए, एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु की खोज करते समय, यह ज़रूरी है कि एक ईश्वर जिज्ञासु स्वामी विवेकानंद की तरह सतगुरु की खोज करते हुए झूठ व पाखंड में न फंसकर निरंतर आगे बढ़ता रहे। जैसे अनेक गुरुओं को परखने के बाद ही स्वामी विवेकानंद ने अंत में अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस को पाया।
श्री संतोष कुमार गंगवार - सांसद, बरेली, डॉ. अरुण कुमार सक्सेना - पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, यूपी सरकार, श्री भागवत सरन गंगवार - पूर्व लघु उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, श्री संजीव अग्रवाल - विधान सभा सदस्य, बरेली, उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ. उमेश गौतम - चांसलर, इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी, बरेली, श्री राजेश कुमार मिश्रा - पूर्व विधायक, बिठारी, चैनपुर, बरेली, श्री गिरधर गोपाल खंडेलवाल - खंडेलवाल कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बरेली, श्री योगेश पटेल - प्रखंड प्रमुख, भोजीपुरा, बरेली, श्री गोपाल गंगवार - प्रखंड प्रमुख, मीरगंज, बरेली, श्री राज कुमार खंडेलवाल - कम्पीटेंट ग्रुप और एन.पी. एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बरेली, श्री आदित्य मूर्ति – एस.आर.एम.एस. कॉलेज, बरेली, डॉ. विनोद पगरानी - खुशलोक अस्पताल, बरेली, डॉ. सत्येंद्र सिंह - हड्डी रोग विशेषज्ञ, बरेली, डॉ. विमल कुमार भारद्वाज - श्रीनाथ मेडिसिटी एंड वेदांता हॉस्पिटल, बरेली, श्री सत्यवीर सिंह - अधीक्षक, रेलवे जंक्शन, बरेली, सुश्री कीर्ति कश्यप - धर्मेन्द्र कश्यप की पुत्री, सांसद, आँवला, बरेली, श्रीमती पल्लवी गौतम - कप्तान, इंडिगो एयरलाइंस जैसे कई गणमान्य अतिथियों ने इस भव्य कथा कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों जैसे राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण, उदय भूमि आदि ने भी कथा-कार्येक्रम को भरपूर रूप से कवर किया।
यह कथा डीजेजेएस के सामाजिक प्रकल्प 'मंथन - अभावग्रस्त बच्चों के लिए समग्र शिक्षा कार्यक्रम' को समर्पित रही। इसका उद्देश्य बच्चों के मूल शैक्षिक आधार को मजबूत करना और उनके नैतिक आचरण को ऊपर उठाना है, जिससे एक बच्चे को शैक्षणिक, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर पोषित किया जा सके।
कथाव्यास ने यह कहते हुए कथा को विराम दिया कि ब्रह्मज्ञान आज भी प्राप्त किया जा सकता है यदि हम एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु को पा सकें। डीजेजेएस सभी साधकों का जल्द से जल्द अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के लिए आह्वान करता है। ईश्वर के आकांक्षियों, ईश्वर दर्शन अभिलाषियों के लिए संस्थान के द्वार हमेशा खुले हैं।