वर्तमान में समूचा विश्व सैन्य भागीदारी, हथियारों और राजनैतिक मुद्दों आदि से जूझ रहा है। सभी देश युद्ध के दबाव में हैं। इसी कारण विश्व में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। प्रतिदिन प्रातः रेडियो, टीवी और अखबार आदि हिंसा, अपराध, युद्ध और आपदाएं रूपी दुखद समाचारों से रूबरू करवाते हैं। यह तथ्य स्पष्ट है कि आज किसी का जीवन सुरक्षित नहीं है।
जहां संसार के प्रति हमारा समर्पण, हमारी ऊर्जा को समाप्त कर, हमें कमजोर कर देता है परन्तु भगवान के प्रति हमारी भक्ति हमारे भीतर नई शक्ति, ऊर्जा और शांति को भरते हुए, हमें पुनर्जीवित करती है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 8 से 14 दिसम्बर 2019 तक गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। यह कथा संस्थान के बोध प्रकल्प (नशा उन्मूलन कार्यक्रम) को समर्पित थी। कथा का शुभारम्भ सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा मंगल-कलश यात्रा द्वारा किया गया। संत समाज ने भक्ति से ओतप्रोत, सरस भजनों के गायन द्वारा भक्ति तरंगों का संचार किया। कथा का डी-लाइव टेलीकास्ट संस्कार चैनल पर किया गया और साथ ही हिंदुस्तान टाइम्स, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला आदि विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा भी कथा को कवर किया गया था।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या कथा वाचक साध्वी आस्था भारती जी ने वैज्ञानिक व आध्यात्मिक तथ्यों द्वारा कथा का वर्णन किया। भगवान कृष्ण के चरण कमलों का स्मरण भक्तों के जीवन से अशुभ घटनाओं को नष्ट करता है और सौभाग्य का उदय करता है। उनका जीवन चरित सभी लोगों के लिए खुशी, शांति और प्रेरणा का स्रोत है। भगवान श्रीकृष्ण अपने सभी भक्तों को भौतिकवाद और आध्यात्मिकता को संतुलित करने का ज्ञान प्रदान करते हैं। उन्होंने अर्जुन और उद्धव को उच्चतम ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) दिया। श्री कृष्ण ने स्पष्ट और अद्भुत तरीके से आत्म-साक्षात्कार के विज्ञान प्रक्रिया का वर्णन किया, जिसके द्वारा एक मानव भगवान के साथ अपने शाश्वत संबंध को स्थापित कर सकता है।
श्रीमद्भागवत पुराण की विभिन्न कहानियों के माध्यम से, कथाव्यास जी ने भगवान् और मनुष्य के बीच के संबंध को समझाया। उन्होंने अनेक धर्मग्रंथों के उद्धारणों द्वारा स्पष्ट किया कि भक्ति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और शांति लाती है। मनुष्य की शक्ति, ऊर्जा व ज्ञान सीमित है। मानव को किसी ऐसी शक्ति की आवश्यकता है जो उसे सदैव सहायता प्रदान कर सके और उसके जीवन की अशांति तथा दुःख को समाप्त कर सके।
सभी पवित्र शास्त्रों ने स्वीकार किया है कि भगवान ने अपनी सृष्टि में सर्वोच्च स्थान मानव को प्रदान किया है। ईश्वर मानव के भीतर प्रगट हो सकते है, परन्तु मानव माया से भ्रमित होने के कारण सुख के स्रोत्र ईश्वर से विमुख रहता है तथा सुख प्राप्ति हेतु संसार में दुःख को ही प्राप्त करता है। ब्रह्मज्ञान के शाश्वत विज्ञान द्वारा मानव अपने घट भीतर आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर सकता है। ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर से जुड़कर मानव स्वयं ईश्वर स्वरूप बनने लगता है।
इस शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक कार्यक्रम- श्रीमद्भागवत कथा में भाग लेने हेतु बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित हुए। इस समारोह में कई गणमान्य लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की और कार्यक्रम का समापन कथा ज्ञान यज्ञ के साथ किया गया। अनेक श्रद्धालुओं ने ब्रह्मज्ञान की सनातन प्रक्रिया द्वारा ईश्वर दर्शन का लाभ प्राप्त किया।