दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की असीम कृपा द्वारा मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में 7 अप्रैल 2018 से 15 अप्रैल 2018 तक एक विशाल स्तरीय “श्रीमद्देवीभागवत कथा” का भव्य आयोजन किया गया| कथा व्यास साध्वी अदिति भारती जी की प्रभावशाली कथावाचन शैली व संत समाज द्वारा सुमधुर भजन गायन ने बड़ी तादात में उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध किया| कथा में श्रीमती माया सिंह जी (मंत्री, शहरी विकास व आवास विभाग, मध्य प्रदेश), श्री जयभान सिंह पवैया जी (उच्चतर शिक्षा मंत्री, मध्य प्रदेश), श्री कप्तान सिंह सोलंकी जी (हरियाणा के राज्यपाल एवं भारतीय राजनेता, भारतीय जनता पार्टी), श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी (केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज स्वच्छता एवं पेयजल मंत्री), डॉ. नरोत्तम मिश्रा जी (कैबिनेट मिनिस्टर,मध्य प्रदेश) आदि अनेक विशिष्ट अथिति उपस्थित रहें| साथ ही, कथा का विशेष प्रसारण आस्था चैनल पर भी दिखाया गया|
कथाव्यास साध्वी अदिति भारती जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “श्रीमद्देवीभागवत महापुराण” का श्रवण और मनन भीतरी अज्ञान का नाश कर मनुष्य में विवेक व सद्गुण जाग्रत करता है| अंत:करण के दानवों का विनाश कर एक सुखद व सौहार्दपूर्ण जीवन की ओर बढ़ने की राह प्रशस्त करता है| इसी संदर्भ में साध्वी जी ने मधु-कैटभ कथा का उदाहरण रखते हुए बताया कि मधु यानि मधुरता और कैटभ यानि शत्रुता| मानव आपने सम्पूर्ण जीवन में जो मन के अनुकूल लगता है उसे पाना चाहता है और जो मन के प्रतिकूल लगता है उससे भागता रहता है| इसी प्रक्रिया में वह अपने बहुमूल्य मानव जीवन को बर्बाद कर देता है|
साध्वी जी ने जीवन की इस गंभीर समस्या का समाधान प्रदान करते हुए ब्रह्मज्ञान की चर्चा की| उन्होंने कहा कि इस समस्या के उन्मूलन का एकमात्र मार्ग है, विवेक जाग्रति करने वाली प्राचीन भारत की प्रचलित विधि- “ब्रह्मज्ञान”| ब्रह्मज्ञान मनुष्य को किसी भी प्रिय वस्तु/ पदार्थ/ व्यक्ति के प्रति आसक्ति और अप्रिय वस्तु/ पदार्थ/ व्यक्ति के प्रति घृणा के भाव को त्यागते हुए मध्यम मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करता है| लेकिन इस मार्ग प्राप्ति हेतु पूर्ण सतगुरु की अनिवार्यता है| जो तत्क्षण दिव्य चक्षु उजागर करने में समर्थवान हों| पूर्ण सतगुरु के अभाव में आध्यात्मिक पथ पर बढ़ना सम्भव नहीं है|
साध्वी जी ने कहा कि आध्यात्मिक बोध हेतु जीवन में पूर्ण ब्रह्मवेता सतगुरु की परम आवश्यकता है| पूर्ण सतगुरु की कृपा व आशीष के बिना आध्यात्मिक उन्नति अत्यंत कठिन है| कथा के अंत में साध्वी जी ने उपस्थित समस्त श्रद्धालुओं का आह्वान करते हुए उन्हें पूर्ण सद्गुरु श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर जीवन को आनंदमय बनाने हेतु प्रेरित किया|