अनंत इच्छाओं के वशीभूत हो मानव जीवन के मूल्यों खोता जा रहा है। अपनी प्राचीन विरासत आध्यात्मिकता से विलग हो मात्र भौतिकता में सुख की तलाश कर रहा है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता ने स्पष्ट कहा है कि भौतिक व शारीरिक स्तर पर प्राप्त होने वाले सुख क्षणिक व अंत में दुख प्रदान करते है। मानव, आत्मबोध व आत्म-साक्षात्कार द्वारा आत्मिक आनंद को प्राप्त कर श्रेष्ठ व निस्वार्थ आदि गुणों का अपनाने लगता है।

श्रीमद्भागवत पुराण, भारत के पौराणिक ग्रंथों में से एक है, जो पूर्ण सतगुरु द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ईश्वरीय सत्ता से जुड़ने की विधि भक्ति पर केंद्रित है। भगवान कृष्ण के प्रत्येक कार्य में निहित गूढ़ रहस्य और उदात्तता को प्रकट करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में 24 फरवरी से 2 मार्च 2019 तक सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का कार्यक्रम राजपुरा, पंजाब में आयोजित किया गया।
ब्रह्मज्ञानी साधकों द्वारा वेद मंत्रोच्चारण से कथा का शुभारम्भ किया गया, जिसके माध्यम से मानवीय मन ईश्वर के श्री चरणों की ओर अग्रसर हुआ व वातावरण में सकारात्मकता का संचार हुआ। भगवान श्री कृष्ण दिव्य लीलाओं की भक्तिपूर्ण प्रस्तुतियाँ ने सभी के हृदयों को भगवान की भक्ति में तल्लीन कर दिया।

साध्वी वैष्णवी भारती जी ने भक्तों को आध्यात्मिकता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने श्री कृष्ण के लीला पुरुषोत्तम स्वरुप से सम्बंधित अनेक तथ्यों को उजागर किया। वे योगेश्वर व विशुद्ध प्रेम के अवतार थे। जीवन में वास्तविक भक्ति मात्र भीतरिय सर्वोच्च सत्ता से जुड़ने व प्रभु सेवा में समर्पण के बाद आरम्भ होती है। जिस प्रकार, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिव्य ज्ञान प्रदान कर उसके दिव्य चक्षु को प्रगट किया। तब अर्जुन में अपने मोह व आसक्ति का त्याग कर, श्री कृष्ण की सेवा और आज्ञा के प्रति आत्मसमर्पण कर दिया। इसी प्रकार, प्रत्येक आत्मा, अनंत शांति के लिए तब तक तड़पती है, जब तक कि वह समय के पूर्ण गुरु से दिव्य ज्ञान को प्राप्त नहीं कर लेती। साध्वी जी ने उपस्थित भक्तों को पूर्ण गुरु की शरण में जा, उनसे ब्रह्मज्ञान द्वारा दिव्य शांति को अपनाने का आग्रह किया। साध्वी जी ने आगे बताया कि जो लोग ईश्वर की सेवा में लगे हुए हैं, वे भक्ति द्वारा भौतिकता से दिव्यता की यात्रा तय कर रहे हैं तथा वह अंत में प्रभु के दिव्य लोक में निवास करते हैं।
कथा द्वारा संस्थान के सामाजिक कार्यक्रम “कामधेनु” को विस्तृत रूप से रखा गया, जो गाय की भारतीय प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में कार्यरत है। हमारी संस्कृति में भगवान कृष्ण की लीलाएं गौ संरक्षण का संदेश देती हैं। श्रीमद्भागवत कथा ने पूर्ण सतगुरु की कृपा द्वारा ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति व इसके माध्यम से मानव के भीतर ईश्वर दर्शन के दिव्य कोष को प्रगट किया गया। उपस्थित लोगों ने दिव्य प्रेरणाओं के अमृत में भीगकर स्वयं को भाग्यशाली अनुभव किया।