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आरम्भ से ही भारतीय (वैदिक) संस्कृति में जानवरों के प्रति अहिंसा को प्रोत्साहित किया गया है। यहाँ सभी जानवरों को , विशेषकर गाय को अधिक महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति ने अपने साथ साथ अन्य संस्कृतियों को भी गाय के महत्व से अवगत कराया एवं समाज में एक उदहारण भी स्थापित किया कि गौ माता के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए।  गौ माता को पवित्रता का प्रतीक माना  गया है। ये अत्यंत दिव्य एवं प्राकृतिक गुणों की प्रदाता है तथापि सदैव ही आदरणीय एवं पूजन योग्य है। समाज में गाय के महत्व एवं प्राचीन काल में उनके साथ किये जाने वाले व्यवहार से अवगत कराने हेतु, कुम्भ मेले प्रयागराज में 4 और 5 फरवरी 2019 को साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने गौ कथा का सुंदर वर्णन प्रस्तुत किया।

The Foundation of a Healthy Life: Gau Katha at Kumbh Mela, Prayagraj

साध्वी जी ने बताया कि भारतीय संस्कृति में गौ माता, अन्य देवताओं के भांति ही पूजनीय है। मान्यतानुसार गाय का दूध एवं गोबर मानव के लिए अत्यंत लाभकारी है और आज का विज्ञान भी इस बात को स्वीकार कर चुका है। वैदिक द्रष्टाओं की मान्यता के अनुसार गाय से प्राप्त 5 उत्पाद जैसे दूध, जिससे पनीर, घी, दही इत्यादि बनता है तथा गौ मूत्र एवं गोबर भी अत्यंत लाभकारी होते है। दूध एवं दूध के अन्य उत्पाद मानव को पोषण प्रदान कर स्वस्थ रखते है तथा गौ मूत्र एवं उपलों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों एवं ईंधन के रूप में किया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यज्ञ में घी के डलने से उत्पन्न सुगंध शुद्ध, पोषित एवं औषधीय गुणों से परिपूर्ण वातावरण का निर्माण करती है। यज्ञ से निकलने वाली सुगंध, मस्तिष्क की कोशिकाओं का नवीनीकरण कर त्वचा को पुनर्जीवित करती है, रक्त को शुद्ध करती है, रोगजनक बैक्टीरिया और जीवों के विकास को कम करती है तथा ऐसे वातावरण का निर्माण करती है जो शरीर की कई बिमारियों को व्याधियों को दूर करने में मदद करता है।

आज आध्यात्म की जननी भारत जैसे देश में ये जानकारी लुप्त हो चुकी है।  आज केवल अपने स्वाद की पूर्ति हेतु गाय जैसे निर्दोष प्राणियों की निर्ममता से हत्या जैसे जघन्य अपराध किये जा रहे है। मानव द्वारा किये जा रहे इस दुष्कृत्य के लिए भीषण परिणाम भुगतने पड़ेंगे। ज्ञान के अभाव में गौ हत्या जैसे हो रहे कुकृत्य को रोकने का एकमात्र उपाय ब्रह्मज्ञान है जिसे प्राप्त कर व्यक्ति का विवेक जागृत होगा और वो जीवन में गाय के महत्व को समझ पाएगा जिसके प्रभाव से हमारी आने वाली पीढ़ी भी लाभान्वित होगी। डी.जे.जे.एस के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी एक पूर्ण सद्गुरु है जिनसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति कर मनुष्य सभ्य समाज की ओर अग्रसर हो सकता है।

The Foundation of a Healthy Life: Gau Katha at Kumbh Mela, Prayagraj

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