सम्पूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम- आरोग्य के अंतर्गत शरद पूर्णिमा आयुर्वैदिक शिविर का आयोजन किया गया| इस शिविर में दमा, पुरानी खांसी, नजला, श्वाँस से सम्बन्धित अन्य रोगों के इलाज़ हेतु वैदिककालीन आयुर्वैदिक पद्दति द्वारा निर्मित औषधियुक्त खीर रोगियों को वितरित की गई| 5 अक्टूबर को रात्रि 8 बजे से सुबह 5 बजे तक इस “शरद पूर्णिमा आयुर्वैदिक उपचार शिविर” का आयोजन किया गया| लगभग पंद्रह सालों से हर वर्ष आरोग्य द्वारा लगाए जा रहे इन शिविरों से हज़ारों लोग लाभान्वित हुए हैं| आरोग्य प्रवक्ता ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है| इस कारण चंद्रमा की किरणों का प्रभाव अमृत तुल्य होता है| आयुर्वेदाचार्य भी स्पष्ट करते है कि शरद पूर्णिमा में शरीर, मन और आत्मा को सुद्रढ़ करने वाले औषधीय गुण होते हैं| आयुर्वैदिक चिकित्सक ने शिविर में उपस्थित लोगों को आयुर्वैदिक औषधियुक्त खीर का सेवन करने और उचित परहेज से दमा, खांसी व अन्य श्वांस सम्बंधित रोगों को दूर करने के प्रति जागरूक किया| साथ ही संस्थान के प्रतिष्ठित प्रचारकों ने इस दिन से सम्बन्धित आध्यात्मिक विचारों को प्रदान किया| इस वर्ष भी पंजाब के नूरमहल व् डबवाली मालकों की, हरियाणा के कुरुक्षेत्र, दिल्ली के दिव्य धाम आश्रम, महाराष्ट्र के चाकन, नागपुर, पाथर्डी, लातूर और अमरावती, बिहार के सहरसा, कर्नाटक के बंगलुरु, मध्य प्रदेश के भोपाल, उत्तराखंड के देहरादून, राजस्थान के जयपुर व् उत्तरप्रदेश के गोरखपुर स्थित विभिन्न आश्रमों में इस शिविर का आयोजन किया गया| इस वर्ष भी शिविर में बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं, बच्चे और नियमित रूप से आने वाले लाभार्थी उपस्थित रहे| कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक प्रार्थना और भजन के साथ की गई| रात भर जागने की व्यवस्था हेतु सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए| आयुर्वैदिक डॉक्टरों द्वारा सभी रोगों के लिये मुफ्त परामर्श और स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई गयी|
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