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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा वेबकास्ट श्रृंखला में, रविवार, 8 मई, 2022 को नूरमहल, पंजाब से आत्म-पोषक सत्संग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। वेबकास्ट के इस 95वें संस्करण ने गुरु भक्ति भावना की महत्त्वता को दर्शाया। डीजेजेएस के यूट्यूब चैनल के माध्यम से यह कार्यक्रम प्रसारित किया गया, जिससे विश्व भर में स्थित भक्तों, शिष्यों व आध्यात्मिक जिज्ञासुओं ने लाभ लिया।

Unique Ways of the Guru to Shower His Grace: A Spiritual Program Unfolded the Tenets of Guru Bhakti at Nurmahal, Punjab

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी जगदीपा भारती जी ने ‘गुरु कृपा के निराले ढ़ंग’ विषय पर प्रेरणादायक विचारों को सांझा करते हुए, भक्तों के बीच कृतज्ञता और आत्म-मंथन के पक्ष को उजागर किया। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुई, जिसके बाद भजनों व अलौकिक प्रवचनों को प्रस्तुत किया गया।

साध्वी जी ने समझाया कि एक पूर्ण गुरु सच्चे जिज्ञासुओं को अंतर्घट में ईश्वर दर्शन करा कर उन्हें अध्यात्म पथ पर अग्रसर करते हैं। हमारे पवित्र ग्रंथ इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि एक पूर्ण गुरु भक्तों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर, सत्य और वास्तविक पूजा के मार्ग पर चलाने हेतु मार्गदर्शन देते हैं। इतना ही नहीं; वे उनकी जीवन में पग पग पर रक्षा भी करते हैं। सत्गुरु अपने शिष्यों को आधिदैविक, आधिभौतिक, एवं आध्यात्मिक – सभी तापों से मुक्त कराने वाले होते हैं।

Unique Ways of the Guru to Shower His Grace: A Spiritual Program Unfolded the Tenets of Guru Bhakti at Nurmahal, Punjab

साध्वी जी ने इस तथ्य को भी स्पष्ट किया कि जन्म और मृत्यु के चक्र से खुद को मुक्त करने के लिए ‘ब्रह्मज्ञान’ ही एकमात्र सूत्र है। ब्रह्मज्ञान साधक को आत्मनिरीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है और उसके मन के सभी भ्रमों को दूर करता है। तदोपरांत एक मनुष्य सुखी व शांतमय जीवन जी पाता है।

इस पथ पर चलते हुए एक साधक गुरु के कृपा बरसाने के अनूठे ढंग का अनुभव कर, उनके श्री चरणों में नतमस्तक हो जाता है। वह उन्हें कोटि कोटि वंदन अर्पित करता है। अध्यात्म मार्ग के सच्चे पथिकों के रूप में, हमें निरंतर ध्यान साधना करते हुए, दिव्य गुरु के श्री चरणों में पूर्ण समर्पण कर देना चाहिए।

सत्संग कार्यक्रम का समापन अध्यात्म मार्ग पर दृढ़ता से चलते रहने की प्रतिज्ञा के साथ हुआ। उसके बाद श्री आशुतोष महाराज जी के ब्रह्मज्ञानी शिष्यों के लिए एक घंटे के सामूहिक ध्यान सत्र का आयोजन किया गया।

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