7 जुलाई 2018 को पंजाब के बटाला में आयोजित भक्ति संगीत कार्यक्रम “उत्थान” ने दर्शकों को अपनी आत्मा को सर्वोच्च सता से जोड़ने में अपनी सार्थक भूमिका निभाई। अनहद नाद, आत्मा और संपूर्ण सृष्टि का स्पंदन है और इन्द्रियातीत है। दिव्यता का यह गीत केवल पूर्ण सतगुरु की कृपा से अनावृत किया जा सकता है, जो आंतरिक जागृति का प्रवेश द्वार खोल सकता है।
परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन और कृपाहस्त तले प्रचारकों द्वारा रचित और प्रस्तुत दिव्य भजनों से हृदयों को छू लेने वाला दिव्य वातावरण साकार हो उठा। साध्वी त्रिपदा भारती जी ने कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को जागृति के उच्चतम ज्ञान की तलाश करने और भगवान के साथ दिव्य संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया।
दिव्य और लौकिक- दो प्रकार का संगीत होता है। दिव्य संगीत आत्मा को आनंद प्रदान करता है, जबकि लौकिक संगीत का प्रभाव शरीर पर पड़ता है। दिव्य संगीत भगवान के साम्राज्य से संबंधित है, लौकिक संगीत सांसारिक दुनिया का है। साध्वी जी ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि दिव्य एवं अलौकिक संगीत वह है जो अंततः हमारी चेतना को बदल सकता है। यह हमें सार्वभौमिक चेतना में ले जाता है और हमें यह महसूस कराता है कि हम उस परम ईश्वरीय सत्ता के संपर्क में हैं। साथ ही, यह भी अनुभूति करवाता है कि भगवान स्वयं सर्वोच्च संगीतकार हैं। श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों ने इस सत्य को उजागर किया कि ब्रह्मज्ञान ही सार्वभौमिक चेतना से जुड़ने की एकमात्र तकनीक है। समय के पूर्ण गुरु श्री आशुतोष महाराज जी आज इस तकनीक को जन-जन को प्रदान कर रहे हैं।
कार्यक्रम में संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों और प्रकल्पों का प्रदर्शन भी किया गया। जिज्ञासु आत्माओं के लिए कार्यक्रम आध्यात्मिक तृप्ति का कारगर तरीका साबित हुआ। जिससे मन की दुर्भावनाओं को जीतकर ईश्वर के सकारात्मक यंत्र बनने में मदद मिली।