"जब से मानव सभ्यता का सूर्य उदय हुआ है तभी से भारत अपनी शिक्षा तथा दर्शन के लिए प्रसिद्ध रहा है। यह सब भारतीय शिक्षा के उद्देश्यों का ही प्रभाव है कि भारतीय संस्कृति ने संसार का सदैव पथ-प्रदर्शन किया। लेकिन अनेकों वर्षों की दासता के बाद न हमारी शिक्षा प्रणाली भारतीय संस्कृति पर आधारित रही और न ही हमारी शिक्षा का कोई राष्ट्रीय उद्देश्य रह सका।
किसी भी राष्ट्र की आत्मा वहाँ की शिक्षा होती है। अतः आज शिक्षा के उद्देश्यों को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को अनुभव करते हुए भारतीय सरकार ने "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020" लागू कर शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क़दम उठाया है। इस नीति में शिक्षा की पहुँच, समानता और गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। राष्ट्र की किसी भी नीति को सफल बनाने में वहाँ की जनता और संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण होता है। इसी प्रयास में मंथन-सम्पूर्ण विकास केंद्र ने 28 नवंबर 2020 को अपने सभी शिक्षकों और स्वयंसेवकों के लिए "शिक्षक ग्रूमिंग वर्कशॉप" का आयोजन किया, जिसमें उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनेक महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया गया।
मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का एक सामाजिक प्रकल्प है जो कई वर्षों से देश के अभावग्रस्त बच्चों को निःशुल्क एवं मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारने का कार्य कर रहा है।
सत्र के मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में श्री शशांक शेखर (भारतीय उच्चतम न्यायालय के वकील, Delhi Commission for Protection of Child Rights के पूर्व सदस्य, Jus Naturae Law Offices Pvt. Ltd. के निदेशक और CRACR & PD के संस्थापक) उपस्थित रहे। उन्होंने इस नीति को सफल बनाने में शिक्षकों की भूमिका की महत्ता को समझाते हुए उनका मार्गदर्शन किया और नई शिक्षा नीति के कुछ मुख्य बिंदु सामने रखे जैसे इस नीति में भाषाई बाध्यताओं को दूर कर छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है। दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने हेतु आधुनिक तकनीकों के प्रयोग को भी बढ़ावा दिया जाएगा। उच्च शिक्षा को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए हर जिले या उसके आसपास एक उच्च शिक्षा संस्थान बनाये जाने का सुझाव दिया गया है। छात्रों के बीच संवाद एवं रचनात्मक सोच विकसित करने के लिए अनेक प्रकार के साहित्यिक व सांस्कृतिक समूहों एवं विशेष क्लबों का गठन भी किया जाएगा। कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर विशेष ज़ोर दिया गया है। बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा। इस नीति में शिक्षण प्रणाली से जुड़े सुधार भी सम्मिलित हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस नीति के अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की।
उनके इस महत्वपूर्ण मार्गदर्शन और अमूल्य समय के लिये सभी शिक्षकों एवं स्वयंसेवकों ने उनके प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।
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