अवसर बार-बार दस्तक नहीं देता! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

अवसर बार-बार दस्तक नहीं देता!

अर्थशास्त्र में हर एक अवसर से जुड़ा एक मूल्य होता है, जिसे कहते हैं अवसर लागत मूल्य। यदि आसान शब्दों में समझना चाहें, तो यह वो मूल्य है जो हम खो देते हैं यदि हम प्राप्त मौके का लाभ नहीं उठा पाते। जैसे, मान लीजिए, आपके पास मौका है, सेल में 30 किताबों को 1200 रूपये में खरीदने का। परन्तु आप समय रहते सेल का लाभ नहीं उठा पाते। और बाद में वहीँ 30 किताबें आपको खरीदनी पड़ती हैं, 1500 रूपये में। यहाँ पर अवसर लागत मूल्य है, 1500-1200= 300 रूपये।

ठीक इसी प्रकार जीवन में आए प्रत्येक अवसर को खो देने की भी एक कीमत होती है। और इसका मोल चंद रुपयों से नहीं आँका जा सकता। कभी- कभी तो एक अवसर खोने का अर्थ होता है, जीवन को ही गँवा देना।

...एक बार एक व्यक्ति ने संत से पूछा - 'महात्मन! जीवन का अर्थ क्या है?' उत्तर देते हुए महात्मा जी ने कहा- 'जीवन तो एक अवसर है, जिसे अर्थ देना या निरर्थक बनाना इंसान के हाथ में है।' इसलिए कहा भी गया है, कभी भी किसी भी मौके को यूँ ही जाने मत देना।

... किसी ने बहुत सुन्दर कहा- वे लोग भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें सुअवसर प्राप्त होते हैं। वे लोग बहादुर होते हैं, जो अवसरों को बनाते हैं। किन्तु वे लोग ही विजेता होते हैं, जो अपने मुश्किल क्षणों को भी सुअवसर में बदल देते हैं।

... इस चिन्ता में ... कि वह अवसर सौभाग्य का रूप लेगा या नहीं- हम उस मौके का पूरा तरह लाभ नहीं उठा पाते। वो क्या मंत्र है जिससे प्राप्त अवसरों को सफलता में बदला जा सके ... जानने के लिए पढ़िए मार्च माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान पत्रिका।

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