आजकल छोटे- बड़े शहरों में माल्स खुलने लगे हैं। ऐसे बाज़ार जहाँ एक ही स्थान पर बनी हुई अलग-अलग दुकानों पर जाकर आप हर वस्तु खरीद सकते हैं। हमारी सभी सांसारिक ज़रूरतों को पूरा करते हैं ये आधुनिक हाट! चलिए, अखण्ड ज्ञान के संग एक ऐसे आध्यात्मिक माल में, जहाँ सदगुरुओं की हाट हैं। ... इसमें बिकता क्या है? यहाँ पर सत्य का व्यापार होता है। विवेक बिकता है। ज्ञान के अनमोल रत्नों की खरीद होती है। यहाँ साधक साधना के गुर प्राप्त करते हैं। आइये, हम भी चलते हैं, इस बाज़ार की एक-एक हाट पर। ...
संत पल्टू की हाट :पल्टू साहिब अपने एक मुरीद के संग धोबी-घाट से गुज़र रहे थे। एक धोबी बेचारा पसीने-पसीने हो रहा था। उसने दोनों हाथों से एक कपड़ा थामा हुआ था, जिसे वह ज़ोर-ज़ोर से शिला पर पटक रहा था। यह दृश्य देखकर पल्टू साहिब वहीं रुक गए। ... उन्होंने धोबी से पूछा- 'भाई! बड़े विचलित से दिख रहे हो। क्या हुआ?' धोबी झल्लाता हुआ बोला- 'क्या बताऊँ, साहब? एक रंगरेज़ ने मुझे यह कपड़ा धोने के लिए दिया है। इस पर गाढ़ा मजीठ रंग चढ़ा है। पर वह इस पर नीला रंग चढ़ाना चाहता है। इसलिए उसने मुझे इसे धो-धो कर हलके रंग का करने का काम दिया है।'
पल्टू साहिब उसे बोले- इसमें दु:खी होने की क्या बात है?
पल्टू साहिब ने धोबी के दु:ख को कैसे दूर किया? इसमें उनके शिष्य के लिए कौनसा सूत्र समाया हुआ था? और ऐसे ही अन्य कई मनभावन संतों क घाट पर भी आने के लिये पूर्णतः पढ़िए जुलाई 2013 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान पत्रिका का विशेष गुरु-पूजा अंक!