इस संसार में ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा, जो अपने बारे में नहीं सोचता! नि:सन्देह, कोई नहीं! तो आइए, आज हम भी जानें कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं? खुद को किस दृष्टि से देखते हैं? चलिए, हम आपको तीन विकल्प देते हैं, उनमें से आप किसी एक को चुन लीजिए-
१) इस संसार का सबसे असफल व्यक्ति।
२) एक ऐसा व्यक्ति जिसका होना न होना किसी के लिए कोई मायने ही नहीं रखता।
३) निरंतर अपने लक्ष्य की और बढ़ता एक कर्मठ व्यक्ति!
सोचिए! सोचिए! अपने मन के ढक्कन को खोल उसमें झांकिए और जो सच्चाई दिखे उससे घबराना कैसा? तुरन्त एक विकल्प पर अपना निशान लगा दीजिए।
अरे ... अरे ... यह क्या? आपमें से कुछ लोगों ने तो पहले और दूसरे पर अपनी कलम चला दी! पर बंधुओं, यह सोच तो नकारात्मक है। आपकी सिर्फ हीन-भावना के रसातल में ले जाएगी। आप कभी सिर उठाकर चलने की हिम्मत नहीं कर पाएँगे। फिर अपने जीवन के लक्ष्य को कैसे भेद सकेंगे?
... एक बार एक राजा को किसी ने आकर सूचना दी- 'राजन, आपके राज्य में एक बहुत ही अपशकुनी व्यक्ति है। अगर उसकी कोई शक्ल देख ले, तो उसे पूरा दिन भोजन नसीब नहीं होता।' राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। ...राजा ने इस बात की पुष्टि करनी चाही। अगले ही दिन उस व्यक्ति को राजदरबार में पेश किया गया। राजा ने उसका चेहरा बहुत ही गौर से देखा और फिर उसे वापिस भेज दिया। ...संयोगवश, कोई ऐसा राजकार्य आ फंसा कि राजा का पूरा दिन उसे ही सुलझाने में लग गया।
... शाम को जब राजा अपने कक्ष में लौटा, तो उसे अहसास हुआ कि आज पूरा दिन वह भोजन नहीं कर सका। तुरन्त राजा के मस्तिष्क में उस व्यक्ति का चेहरा ...
... राजा ने कड़कती हुई आवाज़ में कहा- 'नि:सन्देह तुम अपशकुनी हो। ... इसलिए मैं तुम्हें मृत्युदंड देता हूँ।
परन्तु ये क्या? उस व्यक्ति ने कुछ ऐसा कहा की राजा ने उसकी सज़ा माफ कर दी।
ऐसा क्या कहा उस व्यक्ति ने???
... संसार में केवल एक ही चीज़ होती है जो आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचने से रोक सकती है। वह है, आपके दोनों कानों के बीच तकरीबन डेढ़ किलोग्राम का आपका दिमाग! अगर आपका दिमाग हीन-भावना के सुरों को छेड़ दे, तो कोई भी आपको जीत नहीं दिला सकता। ... उस व्यक्ति ने स्वयं को कैसे बचाया? कैसे व्यक्ति हमेशा तीसरे विकल्प को चुनें? जानने के लिए पढ़िए अक्टूबर माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान पत्रिका!