प्रश्न: गुरु महाराज जी, आपके चरणों में कोटि-कोटि नमन! मैंने सुना है कि आपके दरबार में वो महान इच्छा भी पूरी होती है, जो किसी और दरबार में पूरी नहीं होती। आप जिज्ञासुओं को ईश्वर-दर्शन का दुर्लभ वरदान प्रदान करते हैं। उस इच्छा के आगे मेरी इच्छा तो बहुत छोटी-सी है। मुझे आशा है कि आप उसे ज़रूर पूरा करेंगे। महाराज जी, आप मुझे आशीर्वाद दें कि मैं एक अच्छी मॉडल और फिर आगे चलकर मिस यूनिवर्स बन सकूँ।
समाधान: ... हमारी दृष्टि में नारी का पद अत्यंत गरिमापूर्ण, पवित्र व महिमामयी है। पर विडम्बना है कि वर्त्तमान में नारी स्वयं ही अपना यह स्वरुप व गौरव भूल गई है। स्वतंत्रता व मॉडर्नाइजेशन की अंधाधुंध होड़ में पाश्चात्य का अंधानुकरण करने में लगी है। मॉडलिंग, एक्टिंग आदि ऐसे व्यवसायों का चयन कर रही है, जहाँ उसे भोग्या के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। सादगी एवं पवित्रता के भूषण उससे छीन लिए जाते हैं। सौन्दर्य प्रसाधनों से उसे लादकर इस रूप में प्रस्तुत किया जाता है कि वह वासना की देवी प्रतीत होती है। हर व्यक्ति उसे कामुक दृष्टि से देखता है। हमें तो लगता है कि नारी की अस्मिता को भंग करने का यह एक गहरा षड्यन्त्र चल रहा है।
प्रकट रूप में सिनेमा, मीडिया व साहित्य- वासनाओं को उभारने के माध्यम बन गए हैं। और नारी इस कुचक्र का रहस्य न समझकर, एक कठपुतली बनके रह गयी है। ... अपने शील, लज्जा आदि गुणों को ताक पर रखकर देह-प्रदर्शन करने में गौरव अनुभव कर रही है। नतीजतन, समाज का पतन हो रहा है।
... क्या नारी का यहीं वास्तविक गौरव है? क्या भारतीय संस्कृति नारी के ऐसे ही असंख्य उदाहरणों से परिपूर्ण है? क्या भारतीय नारियों से भारत की यहीं आकांक्षा है? क्या मार्ग इस नारी को महाराज श्री के दिशा निर्देशन में प्राप्त हुआ, और क्या है आज सम्पूर्ण नारी समाज के लिए समय की माँग? जानने के लिए पूर्णतः पढ़िए नवम्बर माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका