' न अब के' और 'न तब के'! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

' न अब के' और 'न तब के'!

'अभी नहीं, तो फिर कभी नहीं'- इसका तात्पर्य क्या समझते हैं?

जी हाँ! हमें पूरा विश्वास है कि आप इन शब्दों को बहुत अच्छे से समझते होंगे, क्योंकि इन शब्दों से तो सभी का बहुत पुराना याराना है। पर आपको कैसा लगेगा, अगर हम कुछ इस प्रकार कहें- 'अब का, तब का; अब का, तब का!' कुछ समझे आप? नहीं ! तो चलिए, इस पहेली को समझने के लिए देखते हैं कि अकबर के दरबार में क्या हो रहा है?

अरे... अरे यहाँ तो आज बीरबल दिखाई ही नहीं दे रहे हैं! ओह! फिर दरबार में वार्ता का मज़ा कैसा आएगा? भला आज कौन देगा बादशाह के प्रश्नों के उत्तर? दिखने को, हैं तो बहुत सारे लोग- कुछ विद्वान, तो कुछ सूझवान! कुछ मेहमान, तो कुछ मेज़बान! लेकिन हैं सारे के सारे ही ईर्ष्यालु! बीरबल से बेइन्तहां ईर्ष्या करने वाले!

इन सभी को सबक सिखाने के लिए बादशाह अकबर ने इनसे प्रश्न पूछे- 'मुझे बताओ कि वो कौन है, जो 'अब का' है? वो कौन है, जो 'तब का' है? वो कौन है, जो ' अब का' है और ' तब का' है? वो कौन है, जो 'अब का' भी है और 'तब का' भी है?'

इन प्रश्नों को सुनकर अकबर की सभा में बैठे सारे सभासदों की बड़ी ज़ोरदार दिमागी कसरत शुरू हो गई। किन्तु उनके पास इन प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं था, यह तो उनकी मुखाकृति ही बता रही थी। इसलिए सभी के चेहरे गर्जित की तरह रंग बदलने लगे। किसी के मुखमंडल को देखकर लगता था, मानो अचानक से पीलिया रोग की चपेट में गया हो... और... और... उसकी बगल वाला! उसकी कनपटी से स्वेद ऐसे बह रहा था, मानो तपती धूप में खड़ा रहा हो!! और उस पटरु को तो देखो! अभी तो बहुत चटर-पटर कर रहा था, लेकिन अब यह प्रश्न सुनकर लगता है कि उसकी जिह्वा को लकवा ही मार गया है!

अब मरते क्या करते! कुछ जवाब तो देना ही था। ...

एक बोला- ...क्या प्रश्न है! ... पर... ... ... पर, क्या कहना चाहते हैं आप, बादशाह बस यहीं समझ में नहीं रहा??

दूसरा बोला- ... मैं भी उत्तर ज़रूर ढूंढ़ निकालूँगा। चाहे, सारा जीवन ही क्यों लगाना पड़ें!

... बस! अब बादशाह ने तमतमाते हुए और अंगुली उठाते हुए कहा-

'अब तुम में से कोई जल्दी जाओ,

और बीरबल को बुला कर लाओ।

बीरबल ही इस ताले को खोलेगा,

अब के, तब के की चाबी टटोलेगा।'

... कौन 'अब का' है? कौन 'तब का' है? कौन ' अब का', ' तब का' है? कौन 'अब का' भी है और 'तब का' भी है?' इस गुत्थी को बीरबल ने कैसे सुलझाया और क्या मार्मिक अर्थ था इस अकबर का इस प्रश्न को पूछने के पीछे? जानने के लिए पूर्णतः पढ़िए जनवरी  माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका...

Need to read such articles? Subscribe Today