साधक-उपनिषद् | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

साधक-उपनिषद्

जिज्ञासा

महाराज जी, काफी समय से मेरा मन बहुत दुःखी व बेचैन रहता है। मैंने सोचा था कि  जीवन में कुछ बदलाव करके शांति को पा सकूँगा।  पर असफल रहा।  क्या करूँ? मार्ग दिखाएँ।

महाराज जी- कैसी विडम्बना है! एक इंसान घर बदल देता है, वस्त्र बदल लेता है, नौकरी बदल देता है, मित्र बदल लेता है; लेकिन वह नहीं बदलता, जो उसके  दुःख़ की जड़ है-उसके …  ।  … इसलिए आहार-विहार बदलने से क्या होगा! अपना आचार-विचार बदलें।

जिज्ञासा

गुरु महाराज जी, जीवन पर कदम-कदम पर चुनाव है। कई विकल्पों  में से किसी एक को  चुनना पड़ता है। हम हमेशा सही चयन कर सकें, ऐसा मार्ग बताएँ।

महाराज जी- जब एक सांसारिक व्यक्ति चयन करता है, तो उसका निर्णय हमेशा मन की इच्छाओं और बुद्धि के पूर्व अनुभवों पर आधारित होता है। लेकिन जब एक साधक के सामने विकल्प आते हैं, तो वह …

जिज्ञासा

श्री महाराज जी, संसार में भी तो असंख्य लोगों ने सफलता के शिखर छुए हैं। परन्तु आपका आदर्श है- 'ब्रह्मज्ञान ही सफलता की कुँजी है!' ऐसा कैसे और क्यों? बताने की कृपा करें।

महाराज जी- संसार के सफल लोगों के पास 'जुनून' होता है। जुनून उनसे वह दुष्कर कार्य भी करा लेता है, जिसे करना आसान नहीं। संसार के सफल लोगों में 'हौसला' भी होता है। हौसला उनसे वह कार्य करा लेता है, जो वे करना चाहते हैं। … परन्तु इन सफल संसारियों के पास … नहीं होता। जो आपसे वह कार्य करा लेता है, जो आपको करना चाहिए। …

क्या है सफलता का असली सूत्र?

साधक-उपनिषद् में महाराजजी के द्वारा इन सभी समाधानों और अनेक अन्य कई जिज्ञासाओं का पूर्णतः समाधान जानने के लिए पढ़िए इस जुलाई माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका!

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