असली अविष्कारक कौन? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

असली अविष्कारक कौन?

पहली घटना...

...८ नवम्बर, १८९५ की घटना ... विल्हेल्म अपनी प्रयोगशाला में ... बेरियम प्लेटिनो-साइनाइड से पुती हुई स्क्रीन व क्रुक्स ट्यूब की सहायता से कैथोड किरणों पर अनुसंधान कर रहे थे।... 

अकस्मात् हुई एक्स-किरण की खोज...

दूसरी घटना...

२८ सितम्बर, १९२८ का दिन था। ...फ्लेमिंग लम्बी छुट्टियों के बाद अपनी प्रयोगशाला में आए थे। अचानक उनकी नज़र स्लैब पर रखे हुए कुछ बर्तनों पर पड़ी। इनके तल में नीले-हरे रंग का पदार्थ जमा हुआ था। ...

...सम्यक् परिक्षणों के बाद समझ आया कि अकस्मात् पनपा यह पदार्थ तो एक जादुई दवाई है...

इस तरह पैनिसिलिन विश्व की ...एक अभूतपूर्व खोज...

तीसरी घटना...

सन् १८७८... दो अमरीकी वैज्ञानिक- फालबर्ग व इरा रेमसेन प्रयोगशाला में कोलतार के गुण-धर्म पर प्रयोग कर रहे थे। वास्तव में, वे कोलतार पर गन्धक का प्रभाव जाँचने का प्रयास कर रहे थे। तभी अचानक... फालबर्ग का हाथ अपने होंठों से छू गया। ...यह अज्ञात तत्त्व 'सैकरीन' था। 

इस अकस्मात् हुई खोज ने मधुमेह के रोगियों के जीवन में मिठास घोल दी। ...

चौथी घटना...

ऐसे ही अकस्मात् खोज हुई- कृत्रिम रेशम की। ...

…इन सभी खोजों में एक बात स्पष्ट रूप से उभर कर आती है। वैज्ञानिक करना कुछ चाहते थे; परिणाम कुछ और ही निकला! मन-बुद्धि के आधार पर अन्वेषण किसी पदार्थ का कर रहे थे; अविष्कृत कोई अन्य ही पदार्थ हो गया! पदार्थ भी ऐसे-ऐसे जिन्होनें मानव सभ्यता की ऊँची छलांग लगवाई। जन-गण के लिए वरदान सिद्ध हुए। पर विचारणीय बात यह है कि क्या ये आविष्कार केवाल संयोग भर थे? क्या ये आकस्मिक घटनायें इतने तालमेल के साथ बस यूँ ही घट गई? 

...कौन है इनके असली अविष्कारक?  जानने के लिए पढ़िये जनवरी अंक की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका...

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