नमस्कार! मैं हूँ रंजन चौधरी। आज हमारी टीम जिस विषय पर सर्वे करने के लिए लोगों के बीच उतरी है- वह बेहद दिलचस्प है। आज का मुद्दा है- 'क्या २१वीं सदी में भगवान और भक्ति फैशन में हैं?' मेरे साथ अभिषेक तैयार हैं अपनी कैमरा टीम को लेकर। ये लोगों की सोच हम तक पहुँचाएँगे। लोगों की विचारधारा … पर एक्सपर्ट राय देने के लिए हमारे साथ यहाँ स्टूडियो में एक खास मेहमान मौजूद हैं। अध्यात्म में पारंगत, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी के एक प्रचारक शिष्य।
तो चलिये…
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अभिषेक (एक युवा से)- भगवान और भक्ति- आप इन विषयों को २१वीं सदी में कौन-सा स्थान देते हैं?
युवा- आजकल टेक्नोलॉजी और गजेट्स का ज़माना है। अगर हमें दुनिया के साथ आगे बढ़ना है, तो भगवान और भक्ति जैसी आउटडेटिड बातों में न उलझकर प्रगति की ओर ध्यान देना चाहिए। मॉडर्न ज़माने में मॉडर्न तरीके से चलने की ज़रूरत है।
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रंजन- स्वामी जी, आप इस पर क्या कहेंगे?
स्वामी जी- जिन्हें आप पिछड़े ज़माने की बातें कह रहे हैं, आपका आधुनिक समाज उन्हीं में बढ़-चढ़ कर रूचि ले रहा है। सर्वे बताते हैं कि पिछले कुछ समय से, पश्चिमी देशों में, विशेषकर उत्तर अमेरिका में, ऐसी किताबों, टी.वी. शो, पत्रिकाओं की माँग बढ़ी है जो धर्म और अध्यात्म से सम्बन्धित हैं। कुछ समय पहले यू.एस.न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट में बड़े-बड़े अक्षरों में छपा था- 'Spirituality is the latest buzzword' …
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अभिषेक- रंजन, इन युवाओं में से कुछ विज्ञान के भी छात्र हैं। इन सबका मानना है कि ईश्वर, भक्ति- ये सब काल्पनिक जगत की बातें हैं। …
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युवा- मुझे भगवान का कॉन्सेप्ट काल्पनिक नहीं लगता। पर ईश्वर की भक्ति करने का टाइम किसके पास है?
स्वामी जी- …
किसी ने खूब कहा है- 'बिजी मतलब Being under Satan's Yoke- शैतान की गिरफ्त में रहना…।' …
युवा- उफ! बहुत प्रॉब्लम है! अब मुझे अपनी टू-डू लिस्ट में, जो पहले से ही ठुसी हुई है, भक्ति नाम का एक और काम जोड़ना पड़ेगा!!
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युवा- मुझे तो भक्ति-वक्ति करना बहुत बोरिंग-सा लगता है।
कैसे स्वामी जी ने इन् मॉडर्न युवाओं को समझाया, और क्या अन्य प्रश्न युवाओं के द्वारा रखे गए, ये सब और उनके समाधान पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए अप्रैल'१५ माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।
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मन रे! तू काहे न धरे धीरे?