आज के आधुनिक लोगों को छाछ, नींबू पानी, जलज़ीरा, शर्बत आदि भारतीय पारंपरिक पेयों का सेवन करने में लज्जा का आभास होता है। इसका कारण यह है की उक्त पदार्थों का सेवन करने वालों को गरीब, पिछड़ा हुआ और असभ्य माना जाता है। बोतल बंद कोल्ड-ड्रिंक्स पीने में स्मार्टनेस समझी जाती है। पेप्सी, कोक, लिम्का, थम्स-अप, मिरीन्डा, फैंटा, ...बोतल बंद जूस इत्यादि आज का युवा कभी भी और कहीं भी, कितनी ही मात्रा में पी सकता है। परन्तु ये पेय हमारे शरीर के लिए कितने हानिकारक हो सकते हैं, अब यह बात किसी से छिपी नहीं है। वैज्ञानिक शोधों ने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि ये पेय हमारे शरीर में विष का काम करते हैं। तो फिर क्यों नहीं हम विष से अमृत की ओर बढ़ पाते? शायद अपनी स्वादु प्रवृत्ति के कारण! तो इस बार हम आपको कुछ ऐसे भारतीय पारंपरिक पेयों के विषय में बताएँगे, जो लाभकारी होने के साथ- साथ स्वादिष्ट भी हैं।
पीने योग्य पेय और उनके लाभ-
गुलाब शर्बत
जैसे गुलाब के फूलों का रंग, रूप और सुगन्ध मनमोहक होती है, उसी प्रकार यदि ग्रीष्म ऋतु में गुलाब शर्बत का सेवन किया जाए तो मन को आनंद और तन को शीतलता प्राप्त होती है। इस शर्बत की तासीर शीतल होती है। जायके के अतिरिक्त्त यह पाचन-तंत्र के लिए भी लाभदायक होता है। आँत, लीवर और पेट के लिए यह बेहद उपयोगी होता है। यह शर्बत शरीर में जलन और गर्मी के बुखार में भी उपयोगी होता है। यह शर्बत रक्त-संचार, हृदय-रोग, नाक से रक्त बहना इत्यादि में भी बहुत लाभकारी होता है। इसके अतिरिक्त्त यह दिमाग को भी शक्ति प्रदान करता है।
गुलाब शर्बत को ताज़ी देसी गुलाब की पत्तियों के अर्क से तैयार किया जाता है। इस कारण इसके गुणों में वृद्धि हो जाती है। गुलाब में विटामिन ए, बी, डी और ई पाया जाता है। इसके अतिरिक्त्त इसमें आयरन भी पर्याप्त मात्रा में होता है, जिसके कारण यह रक्त की कमी को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है। इसका प्रतिदिन सेवन करने से पेट के बहुत से रोगों से बचाव होता है।
ब्राह्मी-बादाम शर्बत ...
शंखपुष्पी शर्बत ...
ज़ीरा अमृत शर्बत ...
भारतीय जलपान विधि के ठंडे मीठे शर्बत जैसे ब्राह्मी-बादाम, शंखपुष्पी और ज़ीरा अमृत आदि शर्बतों के बारे में जानने के लिए पूर्णतः पढ़िए जून माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान २०१५ मासिक पत्रिका!