आपका निर्णय कैसा होना चाहिए? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

आपका निर्णय कैसा होना चाहिए?

कॉर्पोरेट जगत में बहुत से लोगों ने अपनी किस्मत आज़माई है। ऐसी बहुत सी हस्तियों हुईँ, जिन्होंने सिफर से सफ़र शुरू किया और सफलता के ऊँचे शिखर तक जा पहुँची। वहीँ, ऐसे उदाहरणों की भी कतारें लगी हैँ, जहाँ अर्श से शुरुआत करके लोग फर्श पर आ गिरे। चाहे बात नीचे से ऊपर जाने की हो या ऊपर से नीचे आने की- दोनों पहलुओं में मुख्य भूमिका होती है- हमारे 'निर्णय' की। मात्र एक निर्णय हमारे बिज़नेस, प्रोजेक्ट, कम्पनी इत्यादि का इतिहास बदल सकता है।
अगर आप कोई बिज़नेस चलाते हैँ या किसी कम्पनी के मालिक हैं या फिर किसी प्रोजेक्ट को संभाल रहे हैं, तो ज़रा एक बार अपने आप से ये प्रश्न पूछिए-

-> क्या आपके निर्णयों मेँ कम या ज्यादा पक्षपात की मिलावट होती है?

-> क्या आप चुनौती भरी घड़ियों में जोखिम-भरे निर्णय लेने से कतराते हैं?

-> क्या आपके निर्णयों पर अज्ञानता की छाया मँडराती है?

-> क्या आपके निर्णयों में नयेपन अथवा विवेक की चमक चमचमाती है?

इन पहलुओं पर विचार करके आप अपने 'निर्णय' की क्वालिटी जाँच सकते हैं। यदि क्वालिटी में गड़बड़ है, तो शीघ्रातिशीघ्र सुधार कर लें। नहीं तो यह गड़बड़ आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती है। सुधार के लिए नज़र करते हैं कुछ अनमोल सूत्रों पर, जो समय-समय पर महापुरुषों ने इस संबंध में दिए-...

ऑफिस के किसी प्रोजेक्ट में, बिज़नेस की किसी डील में- आप ऐसे बहुत से पड़ावों से गुज़रते होंगे, जहाँ आगे बढ़ने का हर रास्ता बंद नज़र आता होगा। क्या करें, क्या न करें- यह दुविधा आपकी रातों की नींद उड़ा देती होगी। निराशा और मायूसी आपको साये की तरह घेर लेती होगी।

जब ऐसा हो कि मुश्किलों का पहाड़ सिर पर टूट पड़े...हर तरफ से चुनौतियों के वार हों... ऐसे में हमारा निर्णय क्या होना चाहिये?...
पक्षपात- यह घुन आजकल अधिकतर हर ऑफिस व हर कंपनी में लगा हुआ है। निर्णयकर्ताओं के निजी झुकाव अथवा पसन्द- नापसंद के कारण उचित व्यक्ति को प्रोमोशन नहीं मिलती।...अयोग्य लोगों को कंपनी में शामिल कर लिया जाता है।...
समझदार व्यक्ति वही है, जो अपने निर्णय निजी कारणों/ इच्छाओं/ झुकावों इत्यादि से प्रभावित हुए बिना लेता है।...
जब अज्ञानतवश या आधी-अधूरी समझ से निर्णय लिये जाते हैं, तब क्या होता है?...

एक पाहिये से आप गाडी नहीं चला सकते। निर्णय की गाडी भी आप सिर्फ उत्साह के आधार पर खींच सकते। आवश्यकता है, साथ में सूझ-बूझ के पहिए को भी जोड़ देने की। तब आपका निर्णय आपको सफलता की मंज़िल तक अवश्य पहुंचा देगा।...

कॉर्पोरेट भाषा में कहें, तो ऐसे निर्णय 'z' श्रेणी में नहीं आते।...क्या है यह -डिसीज़न 'z'... पूर्णतः जानने के लिए पढ़िये दिसम्बर’15 माह की हिन्दी अखण्ड-ज्ञान मासिक पत्रिका।

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