'साधना' और 'सत्संग' का विज्ञान | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

'साधना' और 'सत्संग' का विज्ञान

उन्नीसवीं शताब्दी की बात है। विश्व-प्रसिद्ध रसायन शास्त्री लुई पाश्चर की ऑर्लीयन्स ( फ्रांस के मेयर और चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष) के संग बैठक हुई। चर्चा का विषय था- ' ईश्वर के नज़दीक लाने वाला विज्ञान'। गौर करने वाली बात है कि इस घटना को  लगभग  150 वर्ष बीत चुके हैं; पर आज भी जब हम अपनी  विज्ञान की पुस्तकें पढ़ते हैं, तो भगवान के नज़दीक लाना तो दूर  ये भगवान के अस्तित्व तक पर प्रश्नचिह्न लगाती दिखती हैं।

किन्तु गुरुदेव आशुतोष महाराज जी कहा करते हैं- 'ब्रह्मज्ञान- जो विज्ञानों का भी विज्ञान है, ऐसी स्थिति में बेजोड़ समाधान देता है और आज की वैज्ञानिक शिक्षा  की उक्त कमी को पूरा करता है। ब्रह्मज्ञान का अनुभव करने पर हमें विज्ञान को भी अध्यात्म के चश्मे से देखना आ जाता है। बड़ी सहजता से हम रटने वाले सिद्धान्तों में छिपे हुए गूढ़ अर्थ समझने लगते हैं।

उदाहरण के तौर पर स्कूल में पढ़ाए गए, ' खनन धातु विज्ञान ( Extractive Metallurgy)' की ही बात कर लेते हैं। यह विषय रसायन विज्ञान के अंतर्गत आता है। इसमें शामिल कुछ विद्युत प्रक्रियाएँ हैं- विद्युत-परिष्करण और  विद्युत-लेपन। आइए पहले विद्युत-परिष्करण की प्रक्रिया को समझते हैं।

विद्युत-परिष्करण-

प्रकृति में पाई जाने वाली धातुओं  में कई प्रकार की अशुद्धिओं को मूल धातु से अलग करते हैं। इन अशुद्धिओं को ' एनोड मिट्टी' कहा जाता है और इन्हें विद्युत की मदद से अलग किया जाता है। इस  प्रक्रिया का प्रयोगात्मक ढाँचा बताने से पहले  आइए, आपको सारे उपकरणों से परिचित कराते हैं-


1. विद्युत अपघटनी पात्र (एलेक्ट्रोलिटिक सेल) - इस पात्र में पूरी  प्रक्रिया घटती है।

2. विद्युत अपघट्य (एलेक्ट्रोलाइट) - एक रसायनिक घोल जिसमें धातु के चलायमान आयन्स उपस्थित होते हैं।

3. एकदिश विद्युत धारा (डायरेक्ट करेंट) - विद्युत उर्जा के द्वारा ऐनोड एवं एलेक्ट्रोलाइट में उपस्थित धातु के आयन्स के बहाव में मदद मिलती है। इसके लिए प्रक्रिया में ' बैटरी' का प्रयोग होता है।

4. दो विद्युत छड़ें (एलेक्ट्रोड) - ये दो ठोस प्लेटें या छड़ें ऐनोड एवं कैथोड़ कहलाती हैं। ऐनोड का जोड़ बैटरी के घन सिरे से होता है। कैथोड़ का जोड़ बैटरी के ऋण सिरे से होता है।

... विद्युत-परिष्करण से साधना का और विद्युत-लेपन से सत्संग का विज्ञान और पूर्णतः प्रक्रिया जानने के लिए पढ़िए जनवरी’16 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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