संघबद्ध होकर हमें चलना ही होगा ... | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

संघबद्ध होकर हमें चलना ही होगा ...

सद्गुरु श्री आशुतोष महाराज जी अपने शिष्यों को सम्बोधित करते हुए कहा करते हैं - " तुम सब में इतनी शक्ति है कि तुम चाहो तो पर्वतों का सिर झुका दो।  आँधियों का रुख मोड़ दो।  अगर तुम सब ब्रह्मज्ञानी संगठित हो जाओ, तो असम्भव भी संभव हो सकता है।  "...

कहते हैं, एक मज़बूत इमारत बनाने के लिए मज़बूत ईंटों की ज़रूरत होती है।  पर यह अधूरा ज्ञान है।  चूँकि आप कितनी भी मज़बूत ईंटे क्यों न ले आएं, आप उनसे तब तक मज़बूत इमारत नहीं बना सकते जब तक उन ईंटों के बीच में सीमेंट न भर दिया जाए। ...

संगठित होकर चलने के लिए ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सूत्र हैं...

 

पहला - लक्ष्य के प्रति जागरूकता !

अगर हमारा लक्ष्य हमारे सामने है और हम उस पर केंद्रित हैं , तो हमें एक मज़बूत संगठन बंनाने से कोई नहीं रोक सकता।  उदहारण के लिए - हम सब के सबके पास एक अजूबा है -... हमारा स्वयं का शरीर ! ... सभी अंग सुचारु रूप से अपना कार्य करते हैं, इसी लक्ष्य के साथ कि शरीर स्वस्थ रह सके।

ठीक ऐसे ही, एक जिम्मेवार शिष्य भी automode (स्वचालित स्तिथि) में रहता है...

 

दूसरा - सभी का साथ!  ...

सन् 1965 में हमारे (भारत के) ऊपर एक भयानक संकट आ गया। यह संकट था, अनाज की कमी।  ... जितने भी बड़े- बड़े देश थे, उन्होंने इस मुश्किल घड़ी में अपने हाथ पीछे खींच लिए। ... शास्त्री जी ने पुरे देश का आह्वान किया और  सबसे अनुरोध किया - 'हमारे देश कि इस कठिन परिस्थिति में हरेक भारतवासी सहयोग दे।  सप्ताह में एक दिन, एक समय (सोमवार रात्रि) का भोजन न करे.. ' उनके इस अभियान का एक-एक देशवासी ने उस समय सहयोग दिया...

… जैसे हरित क्रन्ति में एक-एक भारतवासी ने सहयोग दिया था ...  आध्यात्मिक क्रांति में  ... हम सभी ज्ञानी-साधकों को सहयोग देना होगा।  ..

तीसरा- दृढ़ संकल्प !

थाईलैंड के पास एक टापू है, जिसको Koh Panyee (को पनई ) कहते हैं।  .... सभी ने वहाँ के बच्चों का खूब मज़ाक बनाया। बोले  - ' ज़रा तुम अपने आसपास नज़र डालो ! तुम्हे कोई भी धरती का इतना बड़ा टुकड़ा दिखता है जिस पर तुम फुटबॉल खेलोगे?' ... अब चूँकि संकल्प के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती, सो इन बच्चों में अपने पूरे टापू से पुरानी लकड़ियों को इकठ्ठा किया।  उन सभी को जोड़कर पानी के ऊपर ही फुटबॉल खेलने की पिच को तैयार कर दिखाया।  ...

न अकेले मैं और न अकेले आप विश्व में शांति लेकर आ सकते हैं।  पर 'हम' सब मिलकर ज़रूर ला सकते हैं....

संघबद्ध होकर चलने के लिए इन सूत्रों को पूर्ण रूप से जानने के लिए पढ़िए मई '16 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

Need to read such articles? Subscribe Today