...आइए चलते हैं, द्वापरकालीन युग की ओर। इस युग में महर्षि वेदव्यास जी ने रचना की थी, एक अद्भुत ग्रंथ- 'महाभारत' की। इसकी अभूतपूर्वता के कुछ अनखुले पक्षों से आज हम आपका परिचय कराना चाहेंगे। सर्वप्रथम इस ग्रंथ में 8800 श्लोक थे और इसका नाम रखा गया था- 'जय'। इस नामांकन के पीछे भी महान रहस्य है। उसी ग्रंथि को अब खोलते हैं-वेदव्यास रचित इस महान ग्रंथ में कुल कितने पर्व हैं?- 18 पर्व!
महाभारत का युद्ध कितने दिनों तक चला?- 18 दिन!
इस युद्ध में कितनी अक्षौहिणी सेनाएँ सम्मिलित थीं?- 18 अक्षौहिणी सेनाएँ!
युद्ध के पश्चात् जीवित रहने वाले योद्धा कितने थे?- 18 ( 15 पांडवों के, 3कौरवों के)!
सारतः यहाँ '18' शब्द बारम्बार देखने को मिलता है। हिन्दू धर्म के अनुसार भी 18 को शुभ संख्या माना गया। इसलिए संस्कृत की भाषा के अनुसार हमारे इस ग्रंथ का नाम भी रखा गया '18'।...
18 और जय का क्या संबंध है...
अब यदि आपसे यह पूछा जाए कि वह कौन सा ग्रंथ है, जो पुरातन होते हुए भी सर्वाधिक आधुनिक है? वह कौन सा ग्रंथ है, जो जीवन के हर पक्ष पर प्रभाव डालता है? वह कौन सा ग्रंथ है, जिसे आज जीवन-प्रबंधन की कला दर्शाने का अनुपम ग्रंथ कहा गया है? कौन सा ग्रंथ है वह, जिससे आज समूचा विश्व प्रेरणा लेता है?
निःसंदेह, चारों दिशाओं से- उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम- समवेत स्वर में एक ही स्वर उठेगा- ' श्रीमद्भगवद गीता'।
पर क्या आप जानते हैं कि इस ग्रंथ का उद्भव कहाँ से हुआ था?...आइए, इस रहस्य को भी आपके समक्ष प्रकट करते हैं। अभी जिस महान ग्रंथ महाभारत की हमने विस्तृत महिमा गुनी, उसी अद्भुत ग्रंथ के अठारवें पर्व ' भीष्म पर्व' के अंतर समाहित है-' गीता'। ...महाभारत ग्रंथ अत्यंत विशाल और विराट है। इतना कि ग्रीक साहित्य के दो सबसे विशाल ग्रंथ- इलियड और ओडीसी को एक साथ मिला दिया जाए, तो भी उनसे आठ गुणा अधिक विस्तृत होगा। उसकी इसी विराटता के कारण उसके अंदर 'गीता' कहीं दबकर और छिपकर रह गई।...
ऐसे में वे कौन महान विभूति थे , जिनकी नज़र सबसे पहले इस विलुप्त हुए ग्रंथ 'गीता' पर पड़ी।...
इन्हें अथवा अन्य ग्रंथों की ग्रंथियों को पूर्णतः खोलने के लिए पढ़िए मई'16 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।