क्या जीवन सचमुच इतना जटिल है? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

क्या जीवन सचमुच इतना जटिल है?

आज की रफ्तार भरी दुनिया में हर कोई दौड़ता नज़र आता है। चाहे वह विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा या व्यवसायी या फिर घर को संभालती महिला! हर कोई तेज़ी से भाग रहा है। पर इनमें से अधिकतर को नहीं मिल पाता- सफलता का मुकाम। मिलता है तो दु:ख, दर्द, निराशा और असफलता। इसलिए ज़रूरत है कुछ पल रुकने की। चिन्तन-मनन करने की। उन बातों को ग्रहण करने की, जो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं- सफल और खुशहाल जीवन जीने के लिए।

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तेज रफ्तार ने हमारी असहनशीलता को भी तेज़ कर दिया है।ज़रा-ज़रा सी बातों पर हम नफरत के किले खड़े कर देते हैं। कहीं पर भी चले जाएँ- ऑफिस, घर या पार्टी में- सब जगह लोग एक-दूसरे की बुराई करते नज़र आते हैं। बस यही चर्चा रहती है कि किसने क्या गलत कर दिया। नज़रअंदाज या क्षमा करने का तो मानो ट्रेंड ही खत्म हो गया है।
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'अस्पष्ट दु:खों का शब्दकोश ( Dictionary of obscure sorrows)' में जॉन कोईंग ने नया शब्द गढ़ा है- 'Sonder'. इस शब्द का अर्थ कुछ ऐसे परिभाषित किया गया है- Sonder- एक आभास कि आपके आस-पास के हरेक व्यक्ति का जीवन बेहद पेचीदा और जटिल है, हर कोई अपनी-अपनी परेशानियों और अस्त-व्यस्तताओं से घिरा हुआ है। सचमुच, आज यह शब्द शब्दकोश में प्रमुख स्थान माँगता है, क्योंकि सभी का जीवन अत्यंत जटिल हो चुका है। इतना जटिल कि सरलता और सादगी जैसे शब्द जीवन के शब्दकोश से मानो पूरी तरह मिट चुके हैं।
किन्तु क्या जीवन  वास्तव में इतना जटिल है?...

... सरलता और  सफलता  के बेहतरीन उदाहरण हैं- ऐपल कंपनी के उत्पाद। क्या आप जानते हैं कि Dell कंपनी के लगभग 42 मॉडल और HP कंपनी के लगभग 49 मॉडल इतनी कमाई नहीं कर पाते, जितने ऐपल के मात्र 6 मॉडल कर लेते हैं।क्या है इस सफलता के पीछे का कारण?...

...क्या है सफल जीवन का मूल मंत्र? पूर्णत: जानने के लिए पढ़िए जून'16 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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