दिव्य अनुभूतियाँ कैसे हो सकती हैं? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

दिव्य अनुभूतियाँ कैसे हो सकती हैं?

वर्तमान में, वैज्ञानिकों की जिज्ञासा केवल 'भौतिक' स्तर तक ही सीमित नहीं रही है। वे 'अलौकिक' या 'आत्मिक' स्तर पर भी खोज करने में लगे हुए हैं। इसके लिए उन्होंने कई ऐसी तकनीकों और उपकरणों का आविष्कार किया है, जिनके द्वारा वे दिव्य अनुभवों को प्राप्त कर सकें। जैसे-


...
एडिसन तकनीक

थॉमस एडिसन का नाम कौन नहीं जानता? वे एकमात्र ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिनके नाम पर 1093 पेटेंट हैं। विद्युत, बल्ब तथा फोनोग्राफ जैसे सैंकड़ों आविष्कार करने के बाद, वे चाहते थे एक ऐसा आविष्कार करना जिससे वे अपनी रचनात्मकता और उत्पादक क्षमता को बढ़ा सकें। इसके लिए उन्होंने 'Hypnagogia' तकनीक को अपनाया।


यह तकनीक हमारी माँसपेशियों के तनाव और थकान को कम करती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक इंसान न तो पूरी तरह नींद में होता है और न ही पूरी तरह जागृत अवस्था में। उसका शरीर शिथिल होता है और मस्तिष्क एक ही बिंदु पर एकाग्र रहता है, जिससे कई अनसुलझी पहेलियाँ सुलझाई जा सकती हैं।


एडिसन ने इस तकनीक का अभ्यास करना प्रारंभ किया। वे अपने मस्तिष्क में किसी एक ही विषय के बारे में चिंतन करते और फिर इस तकनीक द्वारा उसे गहराई से जानने का प्रयास करते। इसके लिए वे एक आरामदायक कुर्सी पर बैठ जाते। सिर को  पीछे की ओर कुर्सी पर टिका देते। अपने दोनों हाथों में Ball Bearing ( लोहे की गोलियाँ) पकड़ लेते और हाथों के ठीक नीचे दो  लोहे के बर्तन रख देते। इससे यह निश्चित हो जाता कि वे गहरी नींद में नहीं जा पाएँगे। क्योंकि जैसे ही वे गहरी नींद में जाते, उनके हाथों से गोलियाँ छूट जातीं और नीचे रखे बर्तन में गिरते ही ज़ोर की आवाज़ होती। इससे एडिसन की नींद टूट जाती और  वे सचेत हो जाते। इस तरीके से... एडिसन अपनी शिथिलीकरण की 'थीटा अवस्था' से उत्पन्न श्रेष्ठ विचारों को 'बीटा अवस्था' के

जागृत मस्तिष्क में ला पाते, जो कि गहरी नींद में नहीं हो पाता।
...
भगवान का हेलमेट (God's Helmet), फ्लोटेशन टैंक/ प्लवन टंकी (Flotation Tank), कपाल विद्युत उत्तेजक(Cranial Electrotherapy Stimulator), गंज़फेल्ड यूनिट्स (Ganzfeld Units)... आदि सभी प्रयोग वैज्ञानिकों द्वारा अतीन्द्रिय अनुभवों से मिलने वाले आनंद को पाने के लिए किए जा रहे हैं। आत्म-तत्त्व को जानने और उससे लाभ उठाने के लिए किए गए हैं। इन शोधों में काफी धन व जटिल मशीनों का प्रयोग किया गया है। पर तब भी इन शोधों के परिणाम बहुत ही उथले व अपूर्ण हैं। ये अनुभव मस्तिष्क की तंत्रिकाओं व ग्रंथियों के साथ छेड़छाड़ करके या भ्रम उत्पन्न करके या इन्द्रियों को ज़बरन बंद करके प्राप्त किए गए हैं। इनका चेतना या आत्मा या परमात्मा से कोई लेना-देना नहीं है। अतः इनमें दिव्यता या अलौकिकता का कण मात्र भी नहीं है।

...तो फिर क्या है वास्तविक आनंद व दिव्य अनुभव पाने की कुंजी, पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए मार्च'17 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

Need to read such articles? Subscribe Today