यह उस समय की बात है, जब गंगा पुत्र भीष्म कुरुभूमि बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे। ज्येष्ठ पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर अपने पितामह के समक्ष आए। उन्हें प्रणाम किया। फिर धार्मिकता को समझने हेतु प्रश्न किया- 'पितामह! कौन से देश, कौन से प्रांत, कौन से पहाड़ और कौन सी नदियाँ असीम पवित्रता के साक्ष्य हैं।
पितामह भीष्म ने पवित्रता के बिंदु पर सबसे महत्त्वपूर्ण साक्ष्य के रहस्य को उजागर करते हुए कहा- 'युधिष्ठिर, वही देश, वही प्रांत, वही पहाड़ पावन हैं, जो गंगा के आसपास स्थित होते हैं और वही नदियाँ पावन हैं, जो गंगा में मिलती हैं।' सत्य है, पावनता और गंगा एक दूसरे के पर्यायवाची ही तो हैं।
आज तो वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि गंगा की गरिमा अतुलनीय है। 'द फाइनेनशियल एक्सप्रैस' समाचार पत्र के सन् 2016 के विज्ञान खण्ड की हेडलाइन थी- 'It's scientifically validated now, Ganga water is Holy!' अर्थात् अब यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि गंगा का पानी पवित्र है। आई.आई.टी. रुड़की के पर्यावरण इंजीनियरिंग के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेन्द्र स्वरूप भार्गव बहुत समय से गंगा पर शोध कर रहे थे। उनका इन शोधों के आधार पर कहना है कि स्व-शुद्धिकरण की जो अद्भुत और अनोखी क्षमता गंगा के पानी में है, वह किसी और नदी के पानी में नहीं है। गंगा जल के इस गुण के कारण आस-पास के वातावरण में व्याप्त ऑक्सीजन के स्तर में 25 गुणा वृद्धि संभव हो पाती है। नेशनल एन्वाइरमेन्टल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, नागपुर और आई.आई.टी. कानपुर में किए गए शोध बताते हैं कि गंगा के जल में बहुत अधिक मात्रा में ऐसे वायरस हैं, जो पानी को प्रदूषित करने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं। चंडीगढ़ स्थित सी.एस.आई.आर.- इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टैक्नॉलजी के वैज्ञानिक भी गंगाजल की पवित्रता पर मुहर लगाते हैं। उनका कहना है कि गंगाजल टी.बी., टाइफाइड के इलाज तक में कारगर साबित हो सकता है। गंगा की महिमा को सिद्ध करते ऐसे अनगिनत तथ्य आज वैज्ञानिक अपने शोधों द्वारा उजागर कर रहे हैं।
किन्तु इन तथ्यों को बहुत पहले से ही हमारे ऋषि-मुनि जानते थे।...
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पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया गया था। तब से आज तक जून माह के दसवें दिन को भारत में 'गंगा दशहरा पर्व' के रूप में मनाया जाता है।...
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क्या है हमारे पुराणों में दर्ज़ माँ गंगा के अवतरण का इतिहास?... क्या है स्वर्ग से पृथ्वी तक के गंगा अवतरण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण?... जानने के लिए पढ़िए जून'17 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।