गर्मियाँ आते ही कुछ चीज़ें बड़ी ही सहजता से हमारी दिनचर्या का अंग बन जाती हैं। पर ये हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी सही हैं व कितनी गलत, इसका हमें पता ही नहीं होता। तो आइए, आज इसी पर चर्चा करते हैं-
मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल
अक्सरां गर्मी आ जाने पर भी हम सर्दियों का मॉइस्चराइज़र ही इस्तेमाल करते रहते हैं, क्योंकि वह बचा हुआ होता है। पर आपको बता दें, जहाँ सर्दियों में ग्रीस व ज़्यादा फॉर्मूले वाला मॉइस्चराइज़र त्वचा के लिए फायदेमंद होता है, वहीं गर्मियों में कम फॉर्मूले व नॉन-ग्रीस मॉइस्चराइज़र का प्रयोग लाभकर है। चेहरा शरीर का सबसे संवेदनशील अंग होता है। चेहरे पर मुहाँसों, ब्लैक हेड व झुर्रियों का खास ख्याल रखना होता है। इसलिए चेहरे व बॉडी का मॉइस्चराइज़र भी अलग होना चाहिए।
सावधानियाँ
■ केमिकल मॉइस्चराइज़र की बजाय घरेलू मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें। यह बजट व सेहत दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। कच्चा दूध व गुलाब जल एक बेहतरीन मॉइस्चराइज़र है।
■ अपनी त्वचा (रूखी, तैलीय व सामान्य) के अनुसार ही मॉइस्चराइज़र लें।
ठंडा पानी न पीएँ
गर्मी में बाहर से आते ही, फ्रिज से ठंडा पानी निकालकर, गटागट पीना आम बात है। पर आपको बता दें, हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्शियस होता है, जिसमें 10 डिग्री कम तक सहनीय है। यानी शरीर के लिए 27 डिग्री से कम तापमान का पानी ठंडा माना जाता है। जहाँ सामान्य तापमान का पानी एक घंटे में पच जाता है, वहीं ठंडा पानी पचने में 6 घंटे तक लग जाते हैं। ठंडे पानी से जठराग्नि मंद पड़ जाती है और यह पित्ताशय के लिए भी घातक है। पेट में ठंडा पानी जाने से पेट ठंडा, उससे हृदय ठंडा, मस्तिष्क ठंडा और फिर सारा शरीर ठंडा हो जाने का खतरा बन जाता है। ऐसे में, आत्म-रक्षा प्रणाली के तहत पेट पानी को गर्म करने के लिए ऊर्जा की माँग करता है। इससे भोजन के पाचन में लगने वाली ऊर्जा पानी को गर्म करने में व्यय हो जाती है, जिससे पाचन खराब हो जाता है। साथ ही, अधिक ठंडा पानी बड़ी आँत को सिकोड़ कर बंद कर देता है। इस कारण बड़ी आँत मल निष्कासन प्रक्रिया को नहीं कर पाती और पाइल्स ( बवासीर) व कब्ज़ की समस्या हो जाती है। आयुर्वेद मे कब्ज़ को 'मदर डिज़ीज़' यानी हर बीमारी का जनक कहा गया है। ठंडा पानी गले को भी नुकसान करता है। इसके अत्यधिक सेवन से टॉन्सिल्स भी हो जाते हैं।
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तो फिर ऐसे में क्या सावधानियाँ बरतें? सॉफ्ट ड्रिंक्स, आइसक्रीम, ए.सी. व कूलर का इस्तेमाल करते हुए क्या सावधानियाँ बरतें? पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए जून'17 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।