राम चरित साकार हो उठे! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

राम चरित साकार हो उठे!

भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ- भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र समस्त मानवजाति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। शब्द राम (RAM) का तो विस्तार ही- Right Action Man है अर्थात् सदा उचित कृत्यों को करने वाला व्यक्तित्व! सद्गुणों से परिपूर्ण श्रीराम का अनुसरण करके ही मानवता श्रेष्ठता को छू सकती है। और ऐसा करना अव्यवहारिक भी नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि राम के चरित्र को धारण कर हर क्षेत्र में सफलता के गगनचुंबी लक्ष्य पाए जा सकते हैं। रघुनंदन स्वयं इन गुणों व संस्कारों को अपनी सफलता का आधार बताते हैं। गोस्वामी तुलसीदासकृत रामचरितमानस के लंकाकांड में इसका सटीक विवरण मिलता है। जिस समय लंकापति रावण अस्त्र-शस्त्रों से लैस मायावी रथ पर आरूढ़ होकर युद्ध के लिए पहुँचा, तो उसे देखकर विभीषण जी के मानस पर चिंता की लकीरें उभर आईं। उन्होंने देखा कि उनके भ्राता रावण तो ऐश्वर्य व संसाधनों से सुसज्जित हैं, पर प्रभु श्री राम साधन विहीन, रथ विहीन भूमि पर खड़े हैं। यही देखकर वे विचलित हो उठे...


- हे नाथ! आपके पास न तो रथ है, न ही तन की ढाल या रक्षा-कवच है। आपके श्री चरणों में पादुकाएँ भी नहीं हैं। तो फिर किस प्रकार आप वीर, बलवान रावण पर विजय प्राप्त करेंगे?


भक्त वत्सल श्रीराम ने विभीषण को धीरज बंधाते हुए कहा- हे मित्र! आध्यात्मिक गुणों के बल पर ही मैं रावण को परास्त करूँगा। जिस रथ पर आरूढ़ होकर सफलता प्राप्त होती है, वह तो गुणों का रथ है।...


आगे रघुवर ने इस गुणों से परिपूर्ण रथ का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने विभीषण को समझाते हुए कहा-

...
-शौर्य और धीरज ही मेरे रथ के पहिए हैं। सत्य और शील इसकी दृढ़ ध्वजा और पताका हैं। इस रथ के चार घोड़े हैं- बल, विवेक, दम (इंद्रियाँ शमन), और परोपकार। ये घोड़े क्षमा, कृपा और समता की रस्सी से रथ में जुते हुए हैं। ईश्वर का नाम-भजन ही इसका कुशल सारथी है। वैराग्य तन का कवच है, ढाल है। संतोष ही मेरी तलवार है। पुण्यमय दान ही फरसा है और बुद्धि प्रचंड शक्ति है। साथ ही, श्रेष्ठ विज्ञान धनुष है। ...विशुद्ध व अचल मन तरकस की भाँति है। मन पर नियंत्रण, यम, नियम आदि- ये सभी बाण है। गुरुदेव का पूजन व वंदन ही अभेद्य कवच है। अतः इन सभी विशेषणों को धारण करना ही सफलता का मर्म है। इसके अतिरिक्त विजय का कोई और उपाय नहीं है।

 

रामनवमी के उपलक्ष्य में, मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के गुण-सागर से कुछ गागर भरने के लिए पूर्णतः पढ़िए मार्च'18 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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