एक बार इंग्लैंड की फुटबॉल टीम के एक खिलाड़ी, हॉपकिन्स से पूछा गया- ' एक विजेता और एक साधारण मनुष्य में क्या अंतर होता है?' खट से जवाब आया- ' विजेता हार से पहले कभी हार नहीं मानता। यदि विफल हो भी जाए तो उससे सीखकर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति रखता है।'
पाठकों! आइए, अब हम एक आत्म-विश्लेषण ( टेस्ट) द्वारा यह जाँचें कि हममें विजेता के गुण हैं या नहीं। निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब 'हाँ' या 'न' में दें।
● क्या आप मुश्किलों और हार का सामना होने पर दुःखी और निरुत्साहित हो जाते हैं?
● क्या लगातार हार के वार से आपका आत्मविश्वास टूट जाता है?
● जब दुनिया आपके लक्ष्य को आपके लिए असंभव बता देती है, तो क्या आपके संकल्प की भी चूलें हिल जाती हैं?
● क्या अनेक प्रयासों के बावजूद परिस्थितियों के पक्ष में न होने पर आप उम्मीद का दामन छोड़ देते हैं?
यदि इनमें से किसी भी प्रश्न का जवाब 'हाँ' में है, तो निःसंदेह ये सत्य घटनाएँ आपके लिए प्रेरणास्प्रद साबित होंगी।
असंभव को संभव करने का जादुई फार्मुला!
हेनरी फोर्ड ने वी-मोटर का निर्माण करने का निर्णय किया।पर कम कीमत पर वे इसे जनता तक पहुँचाना चाहते थे। इसका एक तरीका था- एक ऐसे इंजन का निर्माण करना जिसमें एक ही ब्लॉक में पूरे आठ सिलेंडर डाले गए हों। इस डिज़ाइन को तैयार करने के लिए उन्होंने अपनेइंजीनियरों को निर्देश दिया। सभी ने एक साथ विचार-विमर्श कर इस इरादे को असंभव घोषित कर दिया।
परन्तु हेनरी फोर्ड ने इसे असंभव नहीं माना।...
ऐसा क्या किया हेनरी फोर्ड ने... जानने के लिए पढ़िए अप्रैल'18 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।