प्रकृति- असंख्य प्रेरणाओं का खज़ाना! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

प्रकृति- असंख्य प्रेरणाओं का खज़ाना!

प्रकृति रहस्यों से भरी पड़ी है। उसकी यदि कुछ विचित्रताओं पर भी गौर करें, तो सृजनहार की अद्भुत कारीगरी को देखकर विस्मृत रह जाएँगे। आज बात करते हैं- वनस्पति जगत की। इसमें अनेक अजूबे भरे पड़े हैं, जो जीवन जीने के सूत्र संजोए हुए हैं। आइए, हम उनसे अपने लिए कुछ प्रेरणाएँ बटोरें।

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डेसमोडियम गाइरेंस (नृत्य करने वाला पौधा)

सिर्फ मनुष्य ही इस सृष्टि में सप्राण जीव नहीं, जिन्हें नृत्य करना आता है। न ही हम यहाँ किसी पक्षी या पशु की बात कर रहे हैं। आप मानें या न मानें, पर पौधे भी थिरकना और नाचना पसन्द करते हैं। डेसमोडियम गाइरेंस एक ऐसा ही पौधा है। इसे इंडियन टेलिग्राफ प्लांट या नृत्य करने वाला पौधा भी कहा जाता है। 'सर जगदीश चन्द्र बसु' ने विद्युतीय संकेतों के प्रभाव का अध्ययन इसी पौधे पर किया था। साथ ही, चार्ल्स डार्विन ने अपनी किताब ' The power of movement in Plants' में इस पौधे का ज़िक्र अपने सबसे प्रिय पौधे के रूप में किया है।


यह पौधा सूर्य की रोशनी मिलते ही नाच उठता है। नाच भी कोई ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि पूरी ताल और लय के साथ। इस पौधे की पत्तियाँ सूर्य की रोशनी मिलते ही अपनी धुरी में लयबद्ध तरीके से घूमने व थिरकने लगती हैं। इस नृत्य को देखने के लिए आपको किसी बाहरी उपकरण या यंत्र की ज़रूरत नहीं, बल्कि आप अपनी आँखों से ही इस नृत्य के साक्षी बन सकते हैं। इस पौधे की सबसे खास बात यह है कि यह पौधा सिर्फ सूर्य की रोशनी में ही नृत्य करता है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर सके। परन्तु जैसे ही शाम होती है और सूर्य अस्ताचल की ओर रुख करता है, तो यह पौधा अपनी सारी पत्तियाँ झुका लेता है और नई सुबह का इंतज़ार करता है।


वाह! जीवन जीने की कितनी श्रेष्ठ कला सिखाता है यह पौधा! इस पौधे के ही भाँति, यदि हम भी स्वयं को ईश्वर रूपी सूर्य से जोड़ लें, तो हमारा जीवन भी आनंद से थिरकने लगेगा। हमारा जीवन भी सुन्दर आकार ले पाएगा। नहीं तो जीवन के समस्त क्रियाकलाप मात्र एक शोर, भागम भाग और हो-हल्ला बनकर ही रह जाएँगे। आइए साधकों! हम भी स्वयं को ईश्वर रूपी सूर्य से जोड़कर रखें, ताकि हमारा जीवन भी लयबद्ध तरीके से आह्लाद पूर्ण नृत्य कर सके।
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