आजकल हर व्यक्ति जल्दी से जल्दी गगनचुम्बी मंज़िल को चूमना चाहता है। अलादीन के जादुई चिराग सा कोई उपाय खोज लेना चाहता है। सही भी तो है, जहाँ मीलों की दूरी क्षणों में तय कर ली जाती है व हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से पल भर में संपर्क साध लिया जाता है; वहाँ सफलता के लिए शॉर्टकट मंत्र ढूँढने में कैसा परहेज?
पर इस संदर्भ में एक महान विचारक के तो कुछ अलग ही विचार हैं। उनके अनुसार सफलता वे ही पाते हैं, जो बिना प्रमाद के निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। मेहनत से जी चुराने की बजाय पूरे जुनून से कार्य करते हैं। बल्कि अपने निर्धारित कार्य से एक कदम आगे बढ़ने का मादा रखते हैं। आज हम इतिहास के गलियारों से कुछ ऐसे चुनिंदा लोगों के उदाहरण लेकर आए हैं, जिन्होंने साधारण लोगों से एक डग आगे बढ़कर स्वयं को असाधारण बना दिया।
कई साल पहले एक बुज़ुर्ग महिला फिलाडेल्फिया के डिपार्टमेंटल स्टोर पहुँचीं। काफी देर तक, बिना कुछ खरीदे, वे एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर बढ़ती गईं। अचानक स्टोर के एक युवा क्लर्क की नज़र उन पर पड़ी। वह उनके पास आकर बड़ी विनम्रता से बोला- 'मैडम! मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?'
वृद्धा- कुछ नहीं! मैं बारिश के रुकने का इंतज़ार कर रही हूँ।
तब क्लर्क ने मुस्कुराते हुए उन्हें बैठने के लिए कुर्सी दे दी। उनके मना करने पर भी उन्हें एक कप गर्मागर्म कॉफी पीने को दी। बारिश के रुकने पर उस वृद्धा ने स्टोर से निकलते हुए उस युवक को धन्यवाद किया। फिर उससे उसका कार्ड माँगा।
कई महीनों बाद, उस दुकान के मालिक के पास एक पत्र आया। स्कॉटलैंड के स्कीबो कैसल की गृह सज्जा के लिए उस स्टोर को कई लाख डॉलर का ऑर्डर मिला था। पर इस कार्य के लिए उसी युवा को भेजने का आग्रह किया गया था, जिसने वृद्ध महिला के प्रति सहानुभूति दिखाई थी। हालांकि, वह युवक साज-सज्जा के विभाग का न होने के कारण अनुभवहीन था। पर फिर भी उनके विशेष अनुरोध पर उस युवा को ही भेजा गया। चूँकि उसके कारण स्टोर को इतना मुनाफा हुआ था, इसलिए डिपार्टमेंटल स्टोर के मालिक ने उसे अपना बिज़नेस पार्टनर बना लिया।
अब तक आप समझ गए होंगे कि वह पत्र किसके द्वारा भेजा गया था। जी हाँ! उसी बुज़ुर्ग महिला द्वारा जो कोई और नहीं बल्कि मशहूर अमरीकन उद्योगपति एन्ड्रयू कार्नेगी की माँ थीं।
पाठकों! उस वृद्धा का सत्कार करना उस युवक के कार्य का हिस्सा नहीं था। पर सोचिए, यदि सभी विक्रेताओं से अलग वह यह एक अतिरिक्त कदम न उठाता, तो क्या उसका भविष्य इतना उज्ज्वल बन पाता?
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