युवा! या कहें कि समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे सशक्त ईकाई! आप सोचिए, आपके मन में क्या विचार या विशेषताएं उभरती हैं, जब कोई कहता है-आजकल के युवा? एक जवाब हो सकता है- माडर्न, तकनीक-प्रेमी (Tech Savvy), तर्कशील, ऊर्जावान! वहीं दूसरा वर्ग कह सकता है-पथभ्रष्ट, दिशाविहीन व भ्रमित!
परन्तु सज्जनों, शायद आपको आश्चर्य हो कि इसी श्रृंखला में एक तीसरा युवा-वर्ग भी है, जो आज भौतिकवाद से ऊबकर, सांसारिक पैमानों से निराश होकर, बनावटी उसूलों से परेशान होकर, अपनों के पराएपन से उदास होकर नए और सकारात्मक जीवन की ओर अग्रसर हो रहा है। शांति की खोज में, अपने अस्तित्व को पाने के लिए, अध्यात्म की तरफ कदम बढ़ा रहा है। आज बढ़ी तादाद में पूरे विश्व के युवा आत्मिक मूल्यों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे सोशल मीडिया पर प्रेरणादायक वीडियो देख रहे हैं और लेख पढ़ रहे हैं। ज़िंदगी जीने का असल तरीका बड़ी-बड़ी किताबों में छान रहे हैं। स्वार्थ से हटकर, स्वाध्याय की राह पर बढ़ रहे हैं। क्लब, पार्टीज़ और दिखावटी सभ्यता से ऊबकर अब कुछ युवा हैं, जो ध्यान-क्रिया (Meditation) के द्वारा मज़े और आनंद के बीच का भेद तलाश रहे हैं।
विचारणीय है, क्या सनातन अध्यात्म आज के युवा को उसकी हर स्तर की दुविधाओं का तर्कसंगत समाधान प्रदान कर सकता है? इस प्रश्न का उत्तर है- हाँ! समाधान के तौर पर अध्यात्म के पास कोरे शब्द नहीं, अपितु प्रमाणित अनुभव हैं। वे अनुभव, जिन्होंने हर स्तर पर, हर दुविधा में अहसास कराया कि अगर आपके आधार में ब्रह्मज्ञान की ध्यान-साधना है, तो जीवन की कोई भी परिस्थिति आपकी मनःस्थिति पर हावी नहीं हो सकती। आइए, इस बात को अनुभवों व विज्ञान की प्रमाणित रिसर्चों से समझने का प्रयास करते हैं।
परीक्षाओं और नौकरी का दबाव!
'यार कितना पढ़ लिया तुमने? मेरा तो बहुत सारा सिलेबस अभी बचा है! भगवान जाने, कल क्या होगा?'
अवश्य ही आप इन पंक्तियों से परिचित होंगे! कॉलेज के सेमेस्टर टेस्ट, ढेर सारा कोर्स, पढ़ाई करने में आलस, परिणाम का डर! अक्सर युवा छात्र इन मौकों पर कह देते हैं, 'फोकस (एकाग्र) नहीं कर पा रहा हूँ, टाइम व्यवस्थित नहीं हो पा रहा है।...' परिणामस्वरूप देर रात तक जागना , रह-रह कर घबराहट (Panic Attacks) होना, अंतिम पलों में हड़बड़ी रहना। अंततः खराब रिज़ल्ट को खुद पर हावी करके स्ट्रेस और डिप्रेशन से हाथ मिला लेना।
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