गोलू की प्यारी कविताओं में तत्त्वज्ञान! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

गोलू की प्यारी कविताओं में तत्त्वज्ञान!

मैं रोज़ की तरह थका-हारा ऑफिस से घर वापिस पहुँचा। गर्मी के कारण फौरन कपड़े बदले और ए.सी. ऑन करके सोफे पर पसर गया। ठंडी हवा का लुत्फ उठाते हुए अभी कुछ ही क्षण बीते थे। इतने में मेरी पत्नी ने ज़ोर से आवाज़ लगाकर कहा- 'अरे सुनते हो, गोलू के पापा! गोलू को पढ़ा दो , उसकी परीक्षाएं आने वाली हैं।' दिल तो किया यह बात अनसुनी करके थोड़ी देर ऊँघ लूँ। पर फिर जैसे-तैसे अपने मन को समझाया और गोलू को पढ़ाने के लिए उठ खड़ा हुआ।

मेरा बेटा गोलू चार वर्ष का है। जब मैं उसके कमरे में गया, तो पाया कि वह अपनी रंग-बिरंगी किताबों से घिरा हुआ बैठा है। सुन्दर चित्रों से भरे पन्नों को पलट रहा है। मुझे देखते ही वह उचक पड़ा और बोला- 'पापा! पापा! प्लीज़ आज मुझे कविताएँ पढ़ना सिखाओ।' यह मासूम सी तुतलाती फरियाद भला मैं कैसे टाल सकता था? इसलिए गोलू की इंद्रधनुषी दुनिया में उसके साथ बैठ गया। कहाँ जानता था कि उसे कविताएँ पढ़ाते-सिखाते, वास्तव में मैं खुद भी ज़िन्दगी जीने की सीख और दिशा पा जाऊँगा!!
गोलू और मैंने मिलकर पहली कविता गाई-

सूरज निकला मिटा अंधेरा,
देखो बच्चों हुआ सवेरा।
आया मीठी हवा का फेरा, 
चिड़ियों ने फिर छोड़ा बसेरा।
जागो बच्चों अब मत सो,
इतना सुन्दर समय मत खो।

सार- इस कविता में 'बच्चा' शब्द हर उस इंसान को संबोधित करता है, जो थका-हारा-निराश है। ऐसे लोगों को यह कविता बताती है कि सर दिन जब सूरज निकलता है, तो अपने साथ एक नया सुअवसर लाता है। अंधेरों को चीरकर प्रकाशमय सुअवसर! यह सुअवसर मीठी हवाओं के फेरे की तरह होता है, जो हमारे अंदर एक नई उमंग, एक नई ऊर्जा का सृजन करता है। परिंदे अपने चहचहाते स्वरों में हमें आलस्य, हताशा और नकारात्मकता को त्यागकर इस नए अवसर का लाभ उठाने की प्रेरणा देते हैं। जैसे पक्षी अपने घोंसलों को छोड़कर अनन्त नभ में स्वछंद उड़ान भरते हैं; वैसे ही तुम भी अपने संकीर्ण दायरों से बाहर निकलकर उदार भाव से आगे बढ़ो!

सकारात्मक सोच के पंख लगाकर उड़ो। ताज़गी भरे नवनिर्माण के क्षण बार-बार जीवन में नहीं आते हैं। उन मौकों को संभालो! सोते न रहो, जागो!
...
एक-एक करके गोलू और मैंने ये कविताएँ गाईं।... इन प्यारी कविताओं से सुखद जीवन जीने के मंत्र जान लिए। सत्य तो यही है कि जीवन का हर पड़ाव हमें आध्यात्मिक इशारे देकर कुछ सिखलाने का प्रयास करता है। समझदार वही है जो इन इशारों को समझकर इन्हें अपने जीवन में उतार ले। तो आप भी सभी कविताओं और उनमें छिपी प्रेरणाओं को पढ़ने के लिए पढ़िए नवम्बर 2018 माह  की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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