जीवन को जीना कैसे है? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

जीवन को जीना कैसे है?

बस यही एक मसला आज भी हल न हुआ।

यूँ तो सुबह शाम जीता रहा,

पर जीना आज भी मुकम्मल न हुआ।

क्या यहीं भाव आपके, हमारे, हम-सभी के नहीं हैं। कहने को तो हम सभी दिन-रात दौड़ रहे हैं, जीवन जीने के लिए... पर क्या सच में हम जी रहे हैं? आइए, इस प्रश्न का हल एयरलाइन की एक केस स्टडी से जानते हैं। यह केस स्टडी हमें हमारे व्यवहार से रू- ब- रू करते हुए, मुकम्मल जीवन जीने की कला को बतलाएगी।

आजकल लोगों के लिए हवाई जहाज़ से आना-जाना थोड़ा आसान हो गया है। कारण कि हवाई-यात्रा अब इतनी महंगी नहीं रही, जितनी कुछ सालों पहले हुआ करती थी। हवाई-यात्रा सस्ती होने के पीछे एक कारण है- एयरलाइन इंडस्ट्री में काफी कंपनियों का आना जाना। ऐसे में, कंपनियों के  बीच एक

प्रतिस्पर्धा बानी रहती है। हर कंपनी ग्राहकों को लुभाने के लिए बहुत सी प्रणालियों को अपनाती है। उन्हीं प्रणालियों पर आधारित है, एयरलाइन की यह केस स्टडी। 

प्रणाली १- डिफॉल्ट विकल्प

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प्रणाली २- Fear of Missing Out (छूट जाने का भय)

अगर आपको हवाई यात्रा करनी है और आपको पता चले की ३००० रूपये के न्यूनतम किराएपर सिर्फ २ सीट बची हैं, तो आप क्या करेंगे? निश्चित ही आपका निर्णय यह होगा कि इससे पहले ३००० रूपये वाली ये टिकटें बिक जाएँ, मैं इन्हें ले लता हूँ। एयरलाइन कम्पनियाँ व्यक्ति के इस स्वभाव से खासा लाभ उठती हैं।

इस स्थिति का विश्लेषण करें, तो यह एक तथ्य को दर्शाता है। वह यह है कि जब व्यक्ति को किसी वस्तु के छोट जाने या कमी का अहसास कराया जाता है, तब वह उसी समय अपनी निष्क्रियता को त्याग कर उसे पाने के लिए सक्रिय हो जाता है।

ठीक ऐसे ही, यह मानव तन जो हमें मिला है, बहुत ही दुर्लभ और क्षणभंगुर है। महापुरुषों ने कहा...

पर अफसोस! मानव तन की इस दुर्लभता से हम अपरिचित हैं। इसलिए बस लगे रहते हैं, सांसारिक धन को अर्जित करने में। भोग-विलासिता भरा जीवन जीने में। पर जब हमारे जीवन में पूर्ण गुरु आते हैं और उनका सत्संग हम श्रवण करते हैं, तब हमें इस सत्यता का पात चलता है। तब हमें जाग आती है की हम जिन श्वांसों को व्यर्थ गंवा रहे हैं, वे कितनी दुर्लभ हैं। फिर हम जीवन के प्रति गंभीर होते हैं। उसके वास्तविक लक्ष्य को पाने का हर संभव प्रयास करने में जुट जाते हैं और अंततः सफल भी होते हैं।

प्रणाली ३- गोल्डीलॉक प्रभाव!

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प्रणाली ४- बदल दें!

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ये सभी प्रणालियाँ हमें कैसे जीवन जीने की कला सिखाती है, जानने के लिए पढ़िए अप्रैल'१९ माह की मासिक अखण्ड मासिक पत्रिका का सम्पूर्ण लेख!

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