ऋद्धि-सिद्धियाँ बौनी हैं, गुरु-ज्ञान के आगे! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

ऋद्धि-सिद्धियाँ बौनी हैं, गुरु-ज्ञान के आगे!

'मुकुंदलाल घोष'- का जन्म 5  जनवरी, 1893 को पूर्वोत्तर भारतवर्ष के गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था । ये ही आगे चलकर 'स्वामी योगानंद परमहंस' के नाम से पूरे विश्व में जाने गए। इन्होनें जन-जन को ईश्वर-साक्षात्कार का मार्ग दिखाया। सभी को तत्त्वज्ञान की साधना से परिचित करवाया। परन्तु ईश्वरीय ज्ञान को पाने का उनका स्वयं का सफर कैसा रहा? बाल्यावस्था में बैठती मन की अनेक जिज्ञासाओं और शंकाओं का उन्हें कैसे समाधान मिला? ज्ञान-प्राप्ति हेतु वे किस-किस मार्ग से होकर गुज़रे? कैसे जीवन में एक पूर्ण सद्गुरु से मिलन हुआ? आइए, इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए उनके जीवन-सफर के कुछ खट्टे-मीठे अनुभवों को करीब से जानने का प्रयास करते हैं।

गंधबाबा से भेंट

ईश्वरीय खोज की मन में तीव्र उत्कंठा लिए मुकुन्द ने कालीघाट मंदिर से कुछ ही गज दूरी पर स्थित एक मकान में प्रवेश किया। वहाँ एक नारंगी रंग के मोठे गलीचे पर काफी लोग बैठे थे। तभी मुकुन्द के कानों से कुछ विस्मयकारी शब्द टकराए- 'सामने जो चीते की खाल पर बैठे हैं, वहीँ गंधबाबा हैं। वे गंधहीन फूल में किसी भी अन्य फूल की प्राकृतिक सुगन्ध भर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वे किसी भी मनुष्य की त्वचा में भी मनोरम सुगन्ध प्रकट कर सकते हैं।'

मुकुन्द ने सीधे गंधबाबा की और देखा। संत की दृष्टि भी उसी समय मुकुन्द पर स्थिर हो गई। संत स्थूलकाय और कृष्णवर्ण के थे। उनके चेहरे पर दाढ़ी थी और आँखें बड़ी-बड़ी तथा तेजस्वी थीं।

गंधबाबा- बेटा! तुम्हें देखकर मैं प्रसन्न हुआ। बोलो, क्या चाहते हो? कोई सुगन्ध चाहिए?

मुकुन्द- किसलिए?

 गंधबाबा- जिस रहस्यमय ढंग से सुगन्ध पैदा होती है, उसका अनुभव करने व आनंद लेने के लिए।

मुकुन्द- तब तो इत्र के कारखाने बंद हो जाएँगे।

गंधबाबा- नहीं, नहीं! मेरी और से उनके धंधे में कोई बाधा नहीं आएगी।

मुकुन्द- परन्तु सुगन्ध पैदा करने के लिए आपका उद्देश्य क्या है? ईश्वर फूलों की कोमल पंखुड़ियों रुपी शीशियों में ताज़ी सुगन्ध तैयार करते तो हैं।

...

... क्या आप फूलों का निर्माण कर सकते हैं?

...

की मुकुन्द ने उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया?

उनके जीवन में बाघ स्वामी और हवा में उड़ने वाले संत भादुड़ी महाशय से भेंट ने क्या उनके जीवन को एक नई दिशा मिल पाई? पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए मई'१९ माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका!

Need to read such articles? Subscribe Today