आजकल तो आसनों के विकल्प में युवा फिटनेस की आधुनिक तकनीकों को अपनाने लगे हैं। वे एरोबिक्स, जिमनास्टिक, पाइलेट्स, एरोबिक्स डांस फॉर्म ज़ुम्बा व जिम जाने को अधिक प्राथमिकता देते पाए जाते हैं। उनके अनुसार ये साधन उन्हें तेज़ी से केलोरी कम करने में, पतला होने में व उनकी बेडौल फिगर को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। पर पाठकों! अखण्ड ज्ञान का यह लेख आपको इस सच से अवगत कराएगा कि इन आधुनिक तकनीकों और प्राचीनतम योगासनों के बीच कहीं कोई बराबरी नहीं है। योगासन वह वैज्ञानिक पद्धति है जिससे शरीर और मन दोनों सशक्त होते हैं। योगासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक मल व मन के दूषित विकार भी नष्ट होते हैं।
आइए अंतराष्ट्रीय योग-दिवस के उपलक्ष्य पर जानें इनके बीच के मुख्य अन्तरः
- फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों से केवल शरीर मजबूत होता है पर योगासनों से शरीर के साथ मन भी पुष्ट होता है। आसनों से हमारे स्थूल और सूक्ष्म-दोनों शरीर पर प्रभाव पड़ता है।
- फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों जैसे एरोबिक्स, ज़ुम्बा डांस आदि को हर उम्र का व्यक्ति या रोगी नहीं अपना पाता। वहीं कुछ ऐसे योगासन है, जो हर उम्र के व्यक्ति व रोगी द्वारा करना सम्भव हैं।
- जिम की मशीनों पर व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियों में कड़ापन आ जाता है, वहीं योगासनों से शरीर सुडौल और लचीला बना रहता है।
- फिटनेस की आधुनिक प्रणालियों को अपनाने के बाद व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है। वहीं योगासन करने के बाद व्यक्ति हल्का व स्फूर्ति से भरा हुआ हो जाता है। तरो-ताज़ा और सुकून का अनुभव करता है।
- फिटनेस के आधुनिक साधन प्रयोग करने से शारीरिक और प्राण शक्ति दोनों नष्ट होती हैं। पर योगासन करने से शारीरिक और प्राण शक्ति का संचय होता है।
- फिटनेस की ये नई तकनीकें जब तक तेज़ गति से न की जाए, इनका लाभ प्राप्त नहीं होता। बल्कि इनसे माँसपेशियों को नुकसान होने का खतरा बन जाता है। वहीं आसन धीमी गति से करने पर सर्वाधिक लाभ देते हैं। और माँसपेशियाँ भी कमज़ोर नहीं होतीं।...
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