प्राणायाम बनाम ध्यान | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

प्राणायाम बनाम ध्यान

'साँसों से ही जीवन है।' हम जानते हैं, क्योंकि हम इस बात के साक्षी भी हैं और जीते-जागते प्रमाण भी! निःसंदेह, यह बात नई नहीं है। लेकिन बात गहरी बहुत है। इसलिए जहाँ हम जीवन में कमाने वाली पूँजी को लेकर चौकन्ने रहते हैं; वहीं जीवन को चलाने वाली इस पूँजी के संबंध में भी लापरवाह न हों।


वैसे तो वर्तमान समय में श्वास-प्रक्रियाओं (Breathing exercises) का ट्रेंड काफी बढ़ा है। लोग तरह-तरह के श्वास सम्बन्धी सत्रों के प्रति  आकर्षित हो रहे हैं। प्राणायाम को लेकर भी लोगों में रुचि बहुत बढ़ी है। क्योंकि इन तमाम श्वास क्रियाओं, प्राणायाम इत्यादि से हमें भरपूर आराम और शांति का अनुभव होता है। ये लाभ विज्ञान-सम्मत भी हैं। इस बात को थोड़ा गहराई से समझते हैं।


सबसे पहले, यह तो सीधा-साधा अनुपात ही है- जितनी गहरी साँस होगी, उतनी ही उचित मात्रा में  ऑक्सीजन अंदर आएगी। अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन आने का मतलब है, अच्छी मात्रा में कार्बन-डाईऑक्साइड का शरीर से जाना। ऑक्सीजन और कार्बन-डाईऑक्साइड की मात्रा का यह बदलाव बड़े कमाल के परिणाम देता है। कैसे? दरअसल हमारे शरीर की संरचना कुछ ऐसी है कि कार्बन-डाईऑक्साइड की मात्रा पर हमारे रक्त का पी.एच. (PH) माप निर्भर करता है। रक्त में अम्लता का अनुपात अधिक है या फिर क्षारता का- यह जानकारी पी.एच. का माप हमें देता है। जब शरीर में कार्बन-डाईऑक्साइड अधिक मात्रा में होती है, तो पी.एच. का रुझान अम्लता की तरफ झुक जाता है। ज़्यादा अम्ली माने शारीरिक क्रिया प्रणाली में उथल-पुथल! बेचैनी, परेशानी, तनावग्रस्त महसूस होना! इस अस्त-व्यस्तता के होने पर हमारे शरीर की आंतरिक मशीनरी तुरंत बचाव की प्रक्रिया शुरू कर देती है। हमारे मस्तिष्क से शरीर के तंतुओं को एक आवश्यक संदेश मिलता है- ऑक्सीजन प्राप्त करो ताकि रक्त के पी.एच. का माप संतुलित किया जा सके। यहाँ यदि इन सारे बिंदुओं को जोडें, तो हम श्वास क्रियाओं से मिलने वाले लाभ को आसानी से समझ सकते हैं।


इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में, हज़ारों परेशानियाँ और काम चौबीस घंटे हमारे सिर पर मंडराते हैं। ऐसे में, चाहे हमने कभी गौर न किया हो, लेकिन हमारी श्वासों की अवधि सिकुड़ जाती है। याने साँस लम्बी और गहरी न होकर, छोटी और तेज़ चलने लगती है। तेज़ और कम गहरी श्वासों का मतलब है, कम ऑक्सीजन! ...

तो ऐसे में प्राणायाम और ध्यान कैसे हमें मदद करता है? जानने के लिए पढ़िए अगस्त'2019 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान  मासिक पत्रिका।

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