आज के आधुनिक, तार्किक, बुद्धिजीवी युवाओं को जब उनके बड़े-बुज़ुर्ग और अभिभावक बाहर का भोजन खाने पर टोकते हैं, तो उनका सीधा सपाट प्रश्न आता है- 'आखिर इसमें हर्ज़ ही क्या है? हम इन एप्स द्वारा खाना किसी घटिया ढाबे से नहीं, बल्कि अच्छे रेस्तरां से मँगवा रहे हैं।'
युवाओं के इस प्रश्न का हम उत्तर देते हैं। हम आपको बताते है- बाहर के खाने का आपके स्वास्थ्य पर क्या दुष्प्रभाव होता है-
लगातार बाहर खाने वालों के शरीर में 'थेलेट्स' की मात्रा बढ़ती पाई गई। 'थेलेट्स' प्लास्टिक रसायनों का एक समूह है, जो फ़ूड पैकेजिंग और प्रोसेसिंग में इस्तेमाल किया जाता है। भोजन के ज़रिये ये केमिकल शरीर में पहुँचकर हॉर्मोन्स के असंतुलन का कारण बनते हैं। इससे शरीर को एक नहीं, कई बीमारियाँ लग जाती हैं। ...
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बाहर का खाना चटपटा होने के कारण अधिक खाया जाता है। इससे आपका वजन घटाने और मोटापा कम करने की योजना धराशायी हो जाती है। साथ ही, गैस और पेट फूलने (ब्लोटिंग) का रोग मुफ्त में मिल जाता है।…
खाद्य सुरक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार कीटाणु और रोगाणुओं से बचने के लिए गर्म खाना कम से कम 63 डिग्री सेल्शियस या उससे ऊपरी तापमान पर खाना चाहिए। वहीँ ठन्डे पदार्थों को 5 डिग्री सेल्शियस से कम पर खाना चाहिए। बाहर से खाना आने पर यह तापमान कण्ट्रोल कर पाना संभव नहीं।…
बाहर का खाना खाने के केवल शारीरिक नुकसान ही नहीं, बल्कि इससे मानसिक तनाव भी बढ़ता है। खाना किसने किस भावना से बनाया है, खाना बनाने वाले का आचार-विचार कैसा है... इसका हमारे मन पर गहरा असर पड़ता है। इसके सन्दर्भ में एक सच्ची घटना बेहद मार्मिक है। ......
बाहर के खाने के दुष्प्रभावों एवं उससे जुड़े भयावह आंकड़ों का पता लगाने के लिए व साथ ही, जिन सेलेब्रिटीज़ (मशहूर हस्तियों) को आप अपना आदर्श मानते हैं, वे खुद अपने मुख से इस सन्दर्भ में क्या कह रहे हैं? पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए नवम्बर'19 माह की हिंदी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।