अकेलापन या एकांत! | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

अकेलापन या एकांत!

एक बार एक जंगल में भीषण आग फैल गई। उस आग से जंगल में कोलाहल मच गया। जंगल में रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं की जान पर आ बनी। दावानल इतना भयंकर था कि जंगल का विराटकाय जानवर हाथी तक बेहाल हो चुका था। सबसे शक्तिशाली कहलाने वाले शेर के भी हौसले पस्त थे। लोमड़ी की चालाकी भी उसे आग की लपटों से बचा नहीं पा रही थी। आग का प्रकोप ऐसा था कि सबसे फुर्तीला जानवर चीता भी उसकी चपेट से बच नहीं पाया था। किन्तु ऐसे दावानल के प्रकोप में एक जीव ऐसा था, जो स्वयं को बचा पा रहा था। वह था बिल में छुपकर बैठने वाला एक छोटा-सा अशक्त चूहा।

यह परिदृश्य आज के समय में कितना सटीक बैठता है। आज पूरी दुनिया की दशा भी तो यही है। कोरोना महामारी ने सर्वत्र हाहाकार मचा रखा है। इसमें बड़े-से-बड़े विकसित देश, अत्यंत शक्तिशाली देश व आधुनिक साइंस और टैक्नॉलजी से सम्पन्न देश भी स्वयं को असहाय महसूस कर रहे हैं। ऐसे में बचने का सिर्फ एक ही उपाय है। केवल वही जन सुरक्षित हैं, जो अपने बिल यानी घर में घुसकर बैठे हैं।

किन्तु ऐसे लॉकडाउन की अवस्था में एक और बात है, जो चिंतन का विषय बनती दिखाई पड़ रही है। भले ही सब लोग इच्छा या अनिच्छा से अपने बिल में बैठे हुए हैं; पर इनमें से अधिकतर को एक और समस्या ने घेर लिया है। इस समस्या का नाम है- ‘अकेलापन’।...

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