...इसमें कोई सन्देह नहीं कि जीवन अनिश्चित है। लेकिन इस अनिश्चितता में एक संभावना तो निश्चित तौर पर छिपी है। वह यह कि किसी भी क्षेत्र में जो कार्य एक व्यक्ति के लिए संभव हो सका है, वह दूसरों के लिए भी संभव हो सकता है। जो प्रतिभा किसी को संयोगवश मिली है, उसे प्रयत्वपूर्वक भी प्राप्त किया जा सकता है। मतलब कि किसी भी कार्यक्षेत्र में निपुण और प्रतिभाशाली होना, व्यक्ति के उस कार्य के प्रति लगन, पुरुषार्थ और उत्साह पर निर्भर करता हे। संक्षिप्त में कहें तो, प्रतिभा इन सभी गुणों का योग है। वास्तव में, ईश्वर ने मनुष्य को इतना सामर्थ्यवान बनाया है कि उसके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
प्रतिभा क्या है?-
एक वैज्ञानिक विश्लेषण!
वैज्ञानिक रिसर्च कहती है- विश्वकोश ब्रिटानिका से पाँच गुणा ज़्यादा जानकारी मानव मस्तिष्क आसानी से सहेज सकता है। मानव मस्तिष्क की इस अद्भुत शक्ति पर शोध-अनुसंधान जारी हैं। परन्तु वैज्ञानिक हतप्रभ होने के अलावा इस क्षेत्र में कुछ खास नहीं कर सके हैं। ...
...
...तो अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर प्रतिभा का विकसित होना किन पहलुओं पर निर्भर करता है? ...उन्हें पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए दिसम्बर’२० माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका!