योग का अर्थ केवल कुछ व्यायाम मात्र नहीं, बल्कि मन, मस्तिष्क व आत्मा का सटीक समन्वय है। योग आत्मा की स्थिरता पाने का सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा जीवन के परम उद्देश्य की पूर्ति हेतु अंतर्निहित शक्तियों को विकसित किया जा सकता है। अंतरक्रांति उत्साहपूर्वक कैदियों को अनुशासित व शांतिदूत बनाने के लिए निरंतर ब्रह्मज्ञान और योग सत्रों का आयोजन करता है।
चौथे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर तिहाड़ कारागार की सेंट्रल जेल नंबर 6 में 1 जून से 20 जून 2018 तक 20 दिवसीय योगा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया।
साध्वी जया भारती जी (वरिष्ठ प्रतिनिधि, अंतरक्रांति, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान) ने निजी तौर पर रोज़ इस सत्र का निरिक्षण किया जो कि योगा प्रशिक्षक कोमल कौशिक और पायल द्वारा लिया गया। इस प्रशिक्षण सत्र में बहुत सी मज़ेदार गतिविधियों के साथ श्वसन पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए योगासनों का प्रतिपादन और अभ्यास करवाया गया।
उचित श्वास प्रक्रिया द्वारा विचारों को केंद्रीकृत करने के सामर्थ्य को जान कारागार में कैदियों को तनाव और नकारात्मकता से दूर रखा जा सकता है। संपूर्ण विकास व परिवर्तन के इसी उदेश्य को लेकर प्रशिक्षण सत्र में साध्वी जया भारती जी ने कुछ परस्पर संवादात्मक सत्रों को भी जोड़ा। उन्होंने कैदियों को स्वस्थ जीवन शैली और मन के नियंत्रण के विषय पर भी परामर्श प्रदान किया।
उन्होंने योग व ध्यान पर भी चर्चा करते हुए कैदियों को समझाया कि इसके द्वारा कारागार में रहते हुए मन में उत्पन्न गहन अवसाद व खिन्नता से छुटकारा पाया जा सकता है और अपराध मुक्त जीवन की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। सम्पूर्ण सत्र के दौरान बहुत सी मज़ेदार गतिविधियों को भी शामिल किया।
सभी आयु वर्ग के लगभग 100 कैदी इस प्रशिक्षण सत्र से लाभान्वित हुए। 15 महिला कैदीयों को योग नृत्य में भी प्रशिक्षित किया गया। योग के तत्काल परिणामों के साक्षी बने कैदियों ने अनिद्रा, सिरदर्द और हार्मोन असंतुलन आदि में सुधार का दावा भी किया। 20 दिवसीय इस योग प्रशिक्षण सत्र का समापन 20 जून 2018 को एक पूर्ण योग दिवस के रूप में हुआ।
योग सत्र अब जेल में नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे।