संस्कारशाला एक मासिक कार्यशाला है जो दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के समग्र शिक्षा प्रकल्प मंथन - संपूर्णविकास केंद्र द्वारा 4 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आयोजित की जाती है। प्रत्येक माह की भाँति अक्टूबरमाह की संस्कारशाला का विषय था ‘आरोग्य संस्कारशाला’। इस संस्कारशाला में बच्चों ने संस्थान के सामाजिकप्रकल्प ‘आरोग्य’ की विचारधाराओं से प्रेरणा लेते हुए शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक स्वास्थ्य के विषय मेंजाना।
![AAROGYA SANSKARSHALA: Building Holistic Wellness in Children|October 2024 | DJJS Manthan SVK](https://www.djjs.org/uploads/news/im_6747f87508344.jpg)
अक्टूबर 2024 माह में कुल 51 मंथन संस्कारशालाओं का आयोजन किया गया जिसके माध्यम से कुल 3000 बच्चे लाभान्वित हुए।
1. उत्तर प्रदेश
![AAROGYA SANSKARSHALA: Building Holistic Wellness in Children|October 2024 | DJJS Manthan SVK](https://www.djjs.org/uploads/news/im_6747f874a4b85.jpg)
○ रामराज बलराज देवी शिक्षा सेवा ट्रस्ट, गोरखपुर
○ समविलियन पूर्व माध्यमिक विद्यालय, गोरखपुर
○ सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय, मेरठ
2. दिल्ली
○ शांति विद्या निकेतन विद्यालय, बवाना
○ सर्वोदय कन्या विद्यालय विद्यालय, कुतुबगढ़
3. छत्तीसगढ़
○ सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय, सरायपाली
○ बजरंग दास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सरायपाली
स्वस्मिन्तिष्ठतिइतिस्वस्थः
आरोग्य संस्कारशाला ने बच्चों को सिखाया की ‘स्वस्थ’ शब्द का अर्थ होता है जो ‘स्व’ में ‘स्थित’ हो।केवल शारीरिक व मानसिक नहीं अपितु आत्मिक स्वास्थ्य भी व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास हेतु आवश्यक है।
स्वच्छता के विषय में सिखाते हुए मंथन के कार्यकर्ताओं ने बच्चों को अच्छे से हाथ धोना, दाँतो को साफ़करना, प्रतिदिन नहाना आदि जैसी शारीरिक आरोग्य प्रदान करने वाली आदतों को रोचक प्रस्तुति के माध्यम सेबताया। मानसिक आरोग्य हेतु योग, प्राणायाम, हास्य योग, व मस्तिष्क को बल देने वाली गतिविधियाँ जैसेपहेलियाँ, भूजो-तो-जाने, आदि जैसे सत्र में बच्चों ने भाग लिया जिससे वे मानसिक रूप से संतुलित एवं प्रज्ञ होसकें। अंत में आत्मिक आरोग्य हेतु ध्यान सत्र का आयोजन किया गया ताकि बच्चे शारीरिक एवं मानसिकस्वास्थ्य के साथ - साथ आत्मिक बल व विवेक जैसे गुणों को अपने भीतर रोपित कर सकें।
आरोग्य संस्कारशाला से बच्चों ने सम्पूर्ण स्वास्थ्य, आयुर्वेद एवं योग के विषय में भी जाना। बच्चों नेस्वस्थ रहने के वैदिक उपायों को भी सीखा और जाना की आयुर्वेद में घर में ही उपलब्ध सामग्री से छोटी-छोटीचोट आदि को कैसे ठीक किया जाता है। वे सम्पूर्ण स्वास्थ्य की और अग्रसर हों, आरोग्य संस्कारशाला में बच्चों नेयह शुभ संकल्प लिया।