दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की विकासपुरी शाखा द्वारा 07 से 13 अप्रैल 2025 तक नईदिल्ली के राजौरी गार्डन क्षेत्र में सात दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन कियागया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) कीपावन प्रेरणा से आयोजित यह कार्यक्रम भगवान शिव की दिव्य कथाओं में निहित गूढ़ प्रेरणाओं को जनमानस तक पहुँचाने का एक सफल प्रयास रहा। इस कथा ने हज़ारों भक्तोंको भगवान शिव की शाश्वत भक्ति की ओर प्रेरित किया। यह सत्र भावपूर्ण भजनों एवंवक्ता द्वारा बताए गए शाश्वत विज्ञान को प्रस्तुत करने का लयबद्ध मिश्रण रहा।

कथा का भावपूर्ण वर्णन डॉ. सर्वेश्वर जी (गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य) द्वाराकिया गया, जिन्होंने शास्त्रों के विभिन्न श्लोकों के माध्यम से शिक्षाओं के गूढ़ अर्थों औरप्रसंगों को अत्यंत कुशलता से समझाया। उन्होनें बताया कि भगवान शिव संहार औररूपांतरण – दोनों दिव्य पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं; मानव के भीतर की दुष्वृत्तियोंका संहार करके उसे श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करते हैं। वक्ता ने भगवान शिव के जीवन सेजुड़े कई दिव्य रहस्यों को उजागर किया, जैसे कैलाश पर्वत पर उनकी गहन तपस्या, उनकेद्वारा किया गया तांडव नृत्य, उनके द्वारा समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पानकरना, इत्यादि। ध्यानमग्न मुद्रा में बैठे शिव, जिनकी तीसरी आंख खुली है, आंतरिकजाग्रति, शांति और सजग जीवन का जीवंत प्रतीक हैं।
आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में आध्यात्मिकता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।बढ़ते तनाव और व्याकुलता के बीच, ध्यान आत्म-चिंतन प्रदान करता है। ब्रह्मज्ञान परआधारित ध्यान मन को शांत करता है और ईश्वर से एक गहरा जुड़ाव स्थापित करता है, जोएकता, शांति और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। जब व्यक्ति अपने आत्मस्वरूप से जुड़ता है, तो वह जीवन के उद्देश्य को पहचान कर, दृढ़ता और संतुलन से उसकीओर बढ़ता है।

कथा व्यास जी ने आगे बताया कि आत्म दर्शन द्वारा आंतरिक जाग्रति को पाने के लिएएक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है। दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जीवर्तमान समय में शाश्वत ‘ब्रह्मज्ञान’ के माध्यम से जन जन को यही जाग्रति प्रदान कर रहेहैं। महाराज जी कहते हैं कि आंतरिक जागरण से ही मानव में क्रांति और विश्व में शांतिलाई जा सकती है।
कथा व्यास जी ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है, केवल एक पूर्ण सतगुरु ही इस पावनज्ञान की दीक्षा दे सकते हैं, जो आंतरिक जगत के द्वार खोलकर आध्यात्मिकता के रत्नप्रकट करते हैं।
इस कथा ने श्रोताओं के सामने शाश्वत भक्ति का संदेश प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया।आगंतुकों ने डीजेजेएस द्वारा किए गए इस भव्य आयोजन की खूब सराहना की। इस कथाने प्रतिभागियों को शिक्षाओं के सार को पूरी तरह से समझने और उन्हें अपने दैनिक जीवनमें सम्मिलित करने का अवसर दिया। अनेकों लोगों ने डीजेजेएस के आगामी आध्यात्मिकव सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने की गहरी रुचि दिखाई; साथ ही ब्रह्मज्ञान की दीक्षालेने की इच्छा भी व्यक्त की।