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भारत की समृद्ध सांस्कृतिक व आध्यात्मिक धरोहर को जीवंत रखने हेतु ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ द्वारा 30 मार्च 2025 को दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में ‘भारतीय नववर्ष, विक्रम संवत 2082’ का भव्य समारोह आयोजित किया गया। हिन्दू पंचांग के अनुसार ‘विक्रम संवत’ नव वर्ष के शुभारम्भ का प्रतीक है। समारोह में बड़ी संख्या में भक्तों व जिज्ञासुओं ने आत्म उत्थान हेतु भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य आगंतुकों में ‘ब्रह्मज्ञान’ की शिक्षाओं द्वारा आध्यात्मिक जाग्रति, नवीनीकरण व एकता के भावों को उजागर करना रहा। ताकि वे नववर्ष पर जीवन के परम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए शुभ संकल्प धारणकर सकें। 

Celebrating the Divine Renewal: DJJS Commemorates Bhartiya Nav Varsh (Vikram Samvat 2082) with Spiritual Rituals & Devotional Fervour at Divya Dham Ashram, Delhi

कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मज्ञानी वेद पाठियों द्वारा ‘रुद्री पाठ’ के साथ किया गया। डीजेजेएस के प्रचारकों द्वारा प्रस्तुत भजनों ने उपस्थित भक्तजनों को दिव्य तरंगों से सराबोर कर उन्हें अपने भीतर दिव्यता से जुड़ने का सुअवसर प्रदान किया। 

दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के शिष्यों व डीजेजेएस प्रतिनिधियों द्वारा विक्रम संवत में निहित आध्यात्मिक संदेश को उजागर कियागया। उन्होंने समझाया कि विक्रम संवत को मनाने का उद्देश्य उत्सवी आनंद के साथ गहन आध्यात्मिक चिंतन व सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जाग्रति को सम्मिलित किए हुए है। 

Celebrating the Divine Renewal: DJJS Commemorates Bhartiya Nav Varsh (Vikram Samvat 2082) with Spiritual Rituals & Devotional Fervour at Divya Dham Ashram, Delhi

डीजेजेएस प्रतिनिधियों ने समझाया कि भारतीय नववर्ष का उत्सव स्वयं को सृष्टि की दिव्य लय के साथ जोड़ने का एक निमंत्रण है।  आध्यात्मिक प्रवचनों में इस तथ्य पर बल दिया कि ‘ब्रह्मज्ञान’ मानव अस्तित्व के परम सत्य को जानने की कुंजी है। इस दिव्य ज्ञान के माध्यम से व्यक्ति अहंकार, भ्रम व आसक्ति से ऊपर उठ परम चेतना के साथ ऐक्य का अनुभव कर सकता है। 

डीजेजेएस प्रवक्ता ने कहा कि अपने जीवन पर चिंतन करने, हृदय को शुद्ध करने व आध्यात्मिक विकास के प्रति नवीन शुभ संकल्पों को धारण करने हेतु ‘विक्रम संवत’ को शुभ मुहूर्त के रूप माना जाता है।  डीजेजेएस वक्ता ने समझाया कि नववर्ष के शुभारंभ परभक्तों को आत्म-चिंतन, ध्यान व भक्ति में संलग्न रहकर स्वयं को धर्म व आध्यात्मिक लक्ष्य के प्रति अग्रसर करना चाहिए। 

इस महत्वपूर्ण अवसर पर सारगर्भित सत्संग प्रवचनों व मधुर भजनों के साथ साथ, सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित Mime प्रस्तुति भी शामिल थी। दिव्य ज्योति वेद मंदिरद्वारा महाकुंभ में रुद्री के मंत्रोच्चारण का रिकॉर्ड बनाने के विलक्षण पलों पर आधारित एकविशेष सत्र भी रखा गया। इस सत्र ने दर्शाया कि कैसे आज दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी भारतीय संस्कृति को फिर से समाज में प्रतिष्ठित कर रहे हैं।

कार्यक्रम में अनेक विशेष अतिथियों की उपस्थिति रही। उन्होंने भारतीय संस्कृति हेतु दिव्यगुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में DJJS के प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा की।

‘भारतीय नववर्ष’ समारोह का समापन सामुदायिक भोज के साथ किया गया। 

गुरु महाराज जी की शिक्षाओं को अपनाकर तथा 'ब्रह्मज्ञान' की ध्यान साधना के प्रतिकटिबद्ध होकर, सभी साधकों ने नवीन  उत्साह के साथ कार्यक्रम से प्रस्थान किया।

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