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श्री गुरु पूर्णिमा की आध्यात्मिक महिमा को जन-जन तक पहुँचाने एवं उन दिव्य गुरुदेव के प्रति अपार श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने हेतु, जिनका दिव्य मार्गदर्शन शिष्य को सत्य, आत्मपरिवर्तन और मोक्ष के पथ पर अग्रसर करता है, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिनांक 13 जुलाई 2025, रविवार को दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में ‘देव दुर्लभ श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया। यह पावन दिवस शाश्वत एवं पूर्ण दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के चरणों में, समर्पण और भावपूर्ण श्रद्धा अर्पण का दिव्य संयोग बना, जिन्होंने समस्त मानवता को ‘ब्रह्मज्ञान’ का दिव्य उपहार प्रदान किया है।

Dev Durlabh Shri Guru Purnima Mahotsav 2025 organized by DJJS at Divya Dham Ashram, Delhi: A soulful tribute to Divya Guru Shri Ashutosh Maharaj Ji

'श्री गुरु पूर्णिमा' मात्र एक तिथि नहीं, बल्कि उस सनातन परंपरा की स्मृति है, जो शिष्य और परमचेतना के मध्य गुरु को एक दिव्य सेतु के रूप में स्थापित करती है। जहाँ गुरु सांसारिक विषमताओं के मध्य शिष्य को अंतस की ओर मोड़ता है। यह महोत्सव गुरु-शिष्य परंपरा के युग-युगांतरों से चले आ रहे भारतीय दर्शन को पुनर्जीवित करता है और यह दर्शाता है कि चिरकाल से आध्यात्मिक पथ पर गुरु की उपस्थिति अनिवार्य रही है।

इस आध्यात्मिक कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं में डीजेजेएस के प्रबुद्ध एवं निःस्वार्थ कार्यकर्ताओं द्वारा वेद-मंत्रों का विशुद्ध उच्चारण था, जिनकी दिव्य ध्वनि से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो गया। इसके उपरांत भावविभोर कर देने वाले भजन और प्रेरणादायी प्रवचन जीवन में उद्देश्य, शांति व परमचेतना के अनुभव का माध्यम बने। गुरु पूजन व आरती का पावन क्रम, सतगुरु के चरणों में पूर्ण समर्पण का जीवंत प्रतीक रहा, जहाँ सभी शिष्यों ने आत्मा को झंकृत करने वाली तरंगों ओर शांति का अनुभव किया। प्रत्येक शिष्य हाथ जोड़कर, नेत्रों में अश्रुजल लिए समर्पित हृदय के साथ अपने अहंभाव को गुरुचरणों में अर्पित करता दिखा।

Dev Durlabh Shri Guru Purnima Mahotsav 2025 organized by DJJS at Divya Dham Ashram, Delhi: A soulful tribute to Divya Guru Shri Ashutosh Maharaj Ji

प्रवचनों के माध्यम से डीजेजेएस के प्रतिनिधियों ने पुरातन संस्कृति के उदहारण प्रस्तुत करते हुए यह समझाया कि गुरु पूर्णिमा केवल एक तिथि, एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा की उस गूंज का स्वर है, जो उन पूर्ण सतगुरु को आभार प्रकट करती है, जो आत्मा को गहन निद्रा से जागृत करते हैं। प्रवचन में 'देव दुर्लभ' के गूढ़ अर्थ को संबोधित किया, ‘देव दुर्लभ’ अर्थात गुरु के पूजन का ऐसा सुंदर अवसर जो देवों को भी दुर्लभ है। क्योंकि 'सतगुरु' ऐसी सत्ता होते हैं जो केवल उपदेश नहीं देते, बल्कि शिष्य को ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मबोध कराते हैं। शिक्षक केवल बाहर से सिखाता है परन्तु सतगुरु भीतर से जागृत करते हैं। ऐसे दिव्य सतगुरु का मिलना वास्तव में दुर्लभतम दिव्य सौभाग्य होता है और उनके पूजन का अवसर मिलना परम सौभाग्य। दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी आध्यात्मिकता एवं करुणा के अत्यंत धनी और ऐसी विलक्षण गुरु सत्ता हैं जिनके पूजन में सम्मिलित प्रत्येक शिष्य इस देव दुर्लभ अवसर को प्राप्त कर अपने भाग्य पर बलिहार जा रहा था।

डीजेजेएस के प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि श्री गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए एक आत्मावलोकन का दिवस भी है जहाँ वे अपने आध्यात्मिक मार्ग की प्रगति को परखते हैं, समर्पण को सुदृढ़ करते हैं और गुरुचरणों में स्वयं को पूर्णतः समर्पित करते हैं। पूर्ण गुरु द्वारा प्रदान किया जाने वाला ब्रह्मज्ञान केवल प्रतीकात्मक, दार्शनिक या भावनात्मक विचार नहीं, बल्कि आत्मा में स्थित दिव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव है। इस आंतरिक अनुभव के आधार पर ही शिष्य भ्रम से सत्य और अहंकार से अनंतता की यात्रा प्रारंभ करता है।

कार्यक्रम के एक महत्वपूर्ण अंश में डीजेजेएस के कार्यकर्ताओं द्वारा एक भावपूर्ण नाट्य “गुरु कृपा ही केवलम्” प्रस्तुति दी गई, जिसमें आदि गुरु शंकराचार्य जी के जीवन के शक्तिशाली एवं भावपूर्ण चित्रण ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें उनके सच्चे गुरु की खोज, अज्ञान से युद्ध, तथा अद्वैत वेदांत की पुनर्स्थापना का उद्देश्य दर्शाया गया। इस प्रस्तुति के माध्यम से डीजेजेएस ने यह सुदृढ़ किया कि सतगुरु की कालातीत आवश्यकता शंकराचार्य जैसे महान मनीषियों के लिए भी अनिवार्य थी।

कार्यक्रम का समापन सामूहिक ध्यान के साथ हुआ, जिसमें विश्व शांति और मानवता की एकता के लिए प्रार्थना की गई। इसके बाद सभी को प्रेमपूर्वक भोजन प्रसाद वितरित किया गया, जो समता, करुणा और सेवा की जीवंत झलक थी।

निःसंदेह, ‘देव दुर्लभ श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव 2025’ एक बाह्य नहीं, अपितु अंतर्यात्रा का उत्सव था, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य उपस्थिति का उत्सव। यह आयोजन प्रत्येक शिष्य के हृदय में भक्ति, सेवा एवं आत्मिक उद्देश्य की ज्योति को पुनः प्रज्वलित कर गया।

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