सम्पूर्ण विश्व में केवल भारत ही ऐसी पवित्र भूमि है जहाँ देवी पूजन को महत्त्व दिया गया है। ‘देवी’ शब्द का अर्थ है- ‘प्रकाश’ भाव जो जीवन में प्रकाश लाए। अनैतिक प्रथाओं, पापी कृत्यों, आतंकवाद आदि अज्ञानता के तमस से जूझ रहे वर्तमान समय को ज्ञान के प्रकाश, देवी, कि अति आवश्यकता है। इस प्रकाश को सभी श्रद्धालुओं के जीवन में लाने हेतु श्री चंडी माँ महाकाली प्राचीन मंदिर सिद्धपीठ समिति द्वारा श्रीमद् देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन 14 दिसम्बर से 22 दिसम्बर 2019 तक मंदिर परिसर, कामी रोड, सोनीपत, हरियाणा में किया गया।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी (दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक) की शिष्या साध्वी अदिति भारती जी ने प्रवचनों में बताया कि पूज्य गुरुदेव सदैव कहा करते हैं कि “देवी माँ एक युग के लिए अवतार नहीं हैं,वह आज भी मौजूद हैं लेकिन हम आज उनकी उपस्थिति को अनुभव नहीं कर पा रहे हैं।” साध्वी जी ने इस बात की महत्ता पर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए समझाया कि हम आज भी इस दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के सर्वोच्च मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारक शिष्यों एवं निस्वार्थ स्वयंसेवकों ने इस आयोजन में सामूहिक रूप से योगदान दिया। समारोह का शुभ आरंभ देवी शक्ति माँ के पुनीत चरणों में प्रार्थना अर्पित कर किया गया। भक्तिमय भजनों की श्रृंखला एवं भक्तिरस से ओतप्रोत दिव्य वातावरण ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया और उन्हें यह एहसास दिलाया कि जीवन का प्रत्येक क्षण कितना महत्वपूर्ण है।
कथा का वाचन करते हुए साध्वी जी ने कहा कि ज्ञान का मार्ग भीतर से आरंभ होता है। यह कोई बाह्य मार्ग नहीं है अपितु यह तो आत्मा की गहराइयों में उतरकर अंधकारमय जीवन से मुक्त होकर शाश्वत प्रकाश का अनुभव करने की यात्रा है। यह ज्ञान मार्ग उसी के समक्ष उजागर होता है जो एक ब्रह्मनिष्ठ तत्त्ववेता पूर्ण गुरु की शरणागत होकर ब्रह्मज्ञान की दीक्षा को प्राप्त करता है। दीक्षा उपरांत ही व्यक्ति कि आध्यात्मिक आंतरिक यात्रा आरंभ होती है। नियमित ध्यान-साधना और ब्रह्म-दर्शन से आध्यात्मिक मार्ग सशक्त हो जाता है और व्यक्ति इस मार्ग पर सहजता से आगे बढ़ने लगता है।
साध्वी जी ने अपने दिव्य और सत्यपूर्ण वचनों के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं को जीवन के परम लक्ष्य का चयन करने की प्रेरणा दी। उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचार की रोकथाम हेतु मानव को धार्मिकता के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित भी किया। आयोजकों और श्रोताओं ने इस दिव्य आयोजन के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का आभार प्रकट करते हुए आध्यात्मिक पथ का चुनाव कर भक्तिमार्ग पर आगे बढ़ने का सुदृढ़ निर्णय लिया।
