भावनाएं अनेक प्रकार की होती हैं, लेकिन वे भावनाएं श्रेष्ठ हैं, जो किसी भी अपेक्षा के बिना भगवान को अर्पित की जाती हैं। इसे ही भावांजली कहा जाता है। ऐसे ही श्रेष्ठ भावों को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 30 दिसंबर, 2019 को अम्बाला, हरियाणा में मधुर भक्ति गीतों के माध्यम से रखा गया। कार्यक्रम की प्रस्तुति परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सौम्या भारती जी व प्रशिक्षित संगीतज्ञ शिष्यों द्वारा की गयी। संगीत समारोह के साथ-साथ आध्यात्मिक व्याख्यान भी हुआ। इस कार्यक्रम में अम्बाला के विभिन्न क्षेत्रों से भक्त शामिल हुए। संगीत कार्यक्रम के माध्यम से उपस्थित भक्तों को प्रेम का वास्तविक अर्थ बताया गया।
साध्वी जी ने बताया कि यद्यपि समाज में यह बात प्रचलित है कि मानव संबंध प्रेम पर आधारित है, हालाँकि ऐसा नहीं है। सांसारिक प्रेम प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से शर्तों और स्वार्थों पर निर्भर रहता है। मानव में वास्तविक प्रेम तभी जागृत होता है जब वह जीवन के श्रेष्ठ लक्ष्य के प्रति जागरूक हो जाए। इसके लिए एक जागृत आध्यात्मिक गुरु की कृपा और मार्गदर्शन की अनिवार्यता है। एक गुरु ब्रह्मज्ञान की प्रक्रिया के माध्यम से मनुष्य की तीसरी आंख को खोल उसे वास्तविक जगत से परिचित करवाते हैं। गुरु सार्वभौमिक चेतना के साथ एक अटूट संपर्क स्थापित करने में मानव की सहायता करते हैं। परिणाम स्वरूप, व्यक्ति ज्ञान के अखंड, आंतरिक स्रोत्र तक पहुंचने में सक्षम हो जाता है। तब उसकी प्रत्येक क्रिया भावांजली बन जाती है।
साध्वी जी ने स्पष्ट किया कि आज समाज को इसी आंतरिक जागरण से उत्पन्न दिव्य प्रेम की आवश्यकता है। आज दुनिया प्रेम के सही अर्थ को न समझने के कारण एक-दूसरे के विरुद्ध भयावह अपराध कर रही है। साध्वी जी ने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से रखते हुए कहा कि प्रेम दूसरों को प्रभावित करना मात्र नहीं अपितु यह तो आत्म जागृति द्वारा एक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने की दिशा में सहयोग करना है और ब्रह्मज्ञान उसी को प्राप्त करने के लिए एक अचूक समाधान है। साध्वी जी ने श्रोताओं से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति के माध्यम से अपनी आंतरिक यात्रा शुरू करने का आग्रह किया। साध्वी जी ने आवाहन किया कि इस आध्यात्मिक खोज हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के दरवाजे हमेशा खुले हैं।
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