एक साधक कभी भी बिना श्रद्धा और विश्वास के आध्यात्मिकता के शिखर तक नहीं पहुँच सकता है। लेकिन क्या हम जानते हैं कि अटूट विश्वास का मार्ग क्या है? इसी का उत्तर देने के लिए 6 फरवरी 2019 को कुंभ मेला, प्रयागराज में साध्वी लोकेशा भारती जी एवं डीजेजेएस के प्रशिक्षित संगीतकार शिष्यों की टोली ने भक्तिमय संगीत कार्यक्रम भजन संध्या का आयोजन किया। साध्वी जी ने देवी पार्वती का उदाहरण देके बताया कि उन्होंने सही अर्थों में शिव आराधना की थी भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए उन्होंने घोर तपस्या की थी। माँ पार्वती प्रतीक हैं अटूट श्रद्धा और विश्वास की। साध्वी जी ने बताया की अपने आराध्य भगवान शिव को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता और समर्पण ने भगवान शिव को उनके सामने प्रकट होने के लिए विवश कर दिया और माँ पार्वती को शिव भक्त होने का गौरव प्राप्त हुआ। उनकी ये गाथा आध्यत्मिकता की ओर अग्रसर हर शिष्य के लिए प्रेरणा है।
देवी पार्वती की भगवान शिव को प्राप्त करने तक की यात्रा आसान नहीं थी। जब उन्होंने पहली बार भगवान शिव को वर के रूप में धारण करने की इच्छा अपने माता-पिता के समक्ष रखी तो उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया था। उनके माता-पिता कभी नहीं चाहते थे कि वह एक तपस्वी सा जीवन यापन करें क्योंकि भगवान शिव स्वयं एक तपस्वी थे। साध्वी जी ने कहा कि देवी पार्वती के माता-पिता आत्मज्ञानी नहीं थे उनके पास वो दृष्टि नहीं थी जिससे की वो आध्यात्मिकता के मार्ग का वास्तविक मूल्य समझ पाते। ऐसी ही स्थिति आज के मानव की भी है आज अज्ञानता के कारण लोग, अन्य लोगों को जो इस मार्ग की ओर चलना चाहते है, हतोत्साहित करते है। लेकिन माँ पार्वती के पास उनके गुरु का दिव्य सानिध्य था जिससे कि वो कभी इस मार्ग से भ्रमित नहीं हुई।
मानव जन्म का उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति है और यह केवल एक पूर्ण गुरु के माध्यम से ही संभव है। एक पूर्ण सद्गुरु ही हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर हमारे अंतर में उस परमात्मा का दर्शन करा सकते है। माँ पार्वती स्वयं एक देवी थी किन्तु मानव रूप में उन्होंने भी जीवन में गुरु धारण किये। माँ पार्वती ने सप्तऋषि जी से इस ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति की थी। सप्तऋषि ने माँ की प्रभु के प्रति आस्था और समर्पण को परखने के बाद ही उन्हें यह ब्रह्मज्ञान प्रदान किया। माँ पार्वती की यह कथा हम सबको एक दिव्य सन्देश देती है। साध्वी जी ने बताया कि आज भी हम उस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर सकते है जो ज्ञान माँ पार्वती के पास था। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी आज के समय के पूर्ण संत है जो जन-जन को महापुरषों का दिव्य सन्देश देकर मानव के घट भीतर परमात्मा का साक्षात्कार करवा उन्हें सही दिशा प्रदान कर रहे है।