श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 3 सितम्बर 2022 को जन-मानस के आध्यात्मिक उत्थान हेतु फरीदकोट, पंजाब में ‘भज गोविंदम्’ भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साध्वी वैष्णवी भारती जी द्वारा आध्यात्मिक तथ्यों पर प्रस्तुत व्याख्यानों ने अनेक श्रद्धालुओं को कार्यक्रम की ओर आकर्षित किया।
साध्वी जी ने बताया कि ‘भज गोविंदम्’ विषय सच्ची ईश्वर पूजा की ओर संकेत करता है। लेकिन आज हम परमात्मा की पूजा कैसे करते हैं? उत्तर स्वरूप कोई कह सकता है कि ईश्वर पूजा की कोई एक विधि नहीं है, अपितु प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने ढंग से पूजा करता है। इसके विपरीत, साध्वी जी ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि एक ऐसी शाश्वत विधि है जिसके द्वारा भगवान का पूजन करने से हमारा संपूर्ण जीवन शांत व सुखद बन जाता है। भारत की पौराणिक आध्यात्मिक वैज्ञानिक विधि, ब्रह्मज्ञान ही ईश्वर के आह्वान की उपयुक्त तकनीक है।
आज आधुनिक विज्ञान ने भी मानव मस्तिष्क पर ध्यान से होने वाले सकारात्मक प्रभावों को स्वीकार कर लिया है। परंतु ब्रह्मज्ञान के अभाव में ध्यान के सकारात्मक प्रभावों की सीमित सफलता देखने को मिलती है। क्योंकि यह ज्ञान कोई साधारण नहीं, अपितु सर्वोत्तम ज्ञान विधि है। वेदों व ग्रंथों के कथनानुसार, स्वयं ईश्वर ने यह ज्ञान ऋषियों को प्रदान किया, तत्पश्चात ऋषियों ने इस ज्ञान परंपरा को संरक्षित रखा। और आध्यात्मिक मार्ग को प्रशस्त करने वाले पूर्ण सतगुरु ही साधक को यह ज्ञान प्रदान करने के अधिकृत होते हैं।
गुरु, ब्रह्मज्ञान की विधि द्वारा साधक के तृतीय नेत्र को जागृत करते हैं। तृतीय नेत्र के खुलते ही पीनियल ग्रंथि सक्रिय हो जाती है और उसके साथ ही मानव शरीर में निहित अचेतन आदि शक्ति भी चैतन्य हो जाती है। इस प्रकार एक साधक को परमात्मा से सतत संपर्क बनाए रखने का ज्ञान प्राप्त होता है। अतः ब्रह्मज्ञान द्वारा साधक अपने प्रत्येक श्वास से ईश्वर की पूजा कर पाता है।
एक मूल प्रश्न उभर कर सामने आता है कि हम पूर्ण सतगुरु की पहचान कैसे करें? उत्तर स्वरूप साध्वी जी ने समझाया कि पूर्ण सतगुरु ईश्वर से जोड़ने के लिए कोई शाब्दिक नाम या बाह्य वस्तु का माध्यम नहीं लेते। अपितु गुरु साधक को तत्क्षण ब्रह्मज्ञान प्रदान कर ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति कराने में सक्षम होते हैं।
कार्यक्रम के अंत में साध्वी जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पूर्ण सतगुरु की खोज कर ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि यदि आप में सच्ची जिज्ञासा है तो डी.जे.जे.एस के द्वार सभी के लिए सदा खुले हैं और रहेंगे।